हरदा / कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों ने वर्तमान मौसम को ध्यान में रखते हुए किसानों को सलाह दी है कि गेहूं की फसल पर धब्बे या झुलसे हुए पीले लक्षण पत्तियों पर दिखाई दे तो यह जड़ माहो या फंगस का प्रभाव हो सकता है। कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. ओ.पी. भारती ने सलाह दी है कि इसके नियंत्रण के लिये टेबुकोनाजोल सल्फर 400 ग्राम प्रति एकड़ और इमिडाक्लोप्रिड 17.8 प्रतिशत 50 मिलीलीटर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें। चने की फसल में फूल आने से पहले एन.पी.के का प्रति किलोग्राम प्रति एकड़ कि दर से छिड़काव करें, जिससे उत्पादन में वृद्धि होगी।
कृषि विज्ञान केंद्र प्रमुख डॉ. संध्या मुरे ने किसानों से आग्रह किया है कि फसल की सतत निगरानी करते रहे। फसलों में कीट-रोग संबंधी समस्या पर केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. ओम प्रकाश भारती अथवा डॉ मुकेश कुमार बंकोलिया से सलाह लेकर ही अनुसंशित दवा एवं मात्रा का उपयोग करें। उन्होने कहा कि इसे व्हाट्सएप अथवा वीडियो कॉल के माध्यम से भी बताया जा सकता है। साथ ही कृषि विज्ञान केंद्र पर मिट्टी सहित पौधा लाकर भी दिखाया जा सकता है। उन्होने बताया कि तापमान मे गिरावट को देखते हुए पाले की संभावना है। अतः 3-4 डिग्री से कम तापमान होने पर फसलों को पाले से बचाने के लिये खेतों की पश्चिमी मेढों पर अर्धरात्री के बाद धुआँ कर तापमान बढ़ायें