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Bhopal News : निजी स्कूलो की मनमानी से परेशान अभिभावक, स्टेशनरी की दुकानों पर अभिभावकों की खासी भीड़

 शिक्षा शिक्षक और शिक्षालय का आपस में गहरा संबंध है। जहां शिक्षालय जहां पर शिक्षक देश के भविष्य को होनहार बनाने के लिए शिक्षा प्रदान करते है। आज सरकारी स्कूलों में करोड़ो रुपये सरकार के खर्च होते हैं बाबजूद इसके लोगो को मोह निजी स्कूलों से नही छूट रहा हैं। इन सरकारी स्कूलों में निजी स्कूल के शिक्षकों से दो से चार गुना सैलरी दी जाती है। फिर क्यूं इनकी गुणवत्ता निजी स्कूलों से कम आंकी जाती है।

मकड़ाई एक्सप्रेस 24 भोपाल: 

1 अप्रेल से प्रवेशोत्सव, स्टेशनरी की दुकानों पर अभिभावकों की खासी भीड़
सत्र 2024-25 को नवीन शिक्षा सत्र 1 अप्रेल सोमवार से प्रारंभ होने जा रहा हैं,अब अभिभावकों को कापी किताब और स्कूल यूनिफार्म अन्य शिक्षण सामग्री खरीदने में जुट गए है। स्टेशनरी की दुकानों पर अभिभावकों की खासी भीड़ नजर आ रही है। अभिभावकों द्वारा बताया जा रहा है कि स्कूल पाठयक्रम के अलावा कुछ अन्य प्रकाशकों की किताबे भी शामिल कर दिया है। यह किताबे भी स्कूल द्वारा तय दुकानों में ही मिल रही है। इससे साफ जाहिर हो रहा है कि स्कूल की कमीशनखोरी चल रही है। अब ये दुकानदार स्कूलों को कमीशन देने के चक्कर में अभिभावकों की जेब पर डाका डाल रहे है और मनमाने भाव वसूल रहे है।अभिभावकों को एक बच्चे के लिए कापी-किताब से लेकर शिक्षण सामग्री और गणवेश पर 10000 रुपये खर्च करना पड़ रहा है। राजधानी के एमपीनगर, 11 नंबर, नर्मदापुरम रोड, पिपलानी, न्यू मार्केट व दस नंबर स्थित कुछ चुनींदा दुकानों पर ही निजी स्कूलों की किताबें मिल रही है। इन दुकानों पर अभिभावकों की भीड़ इतनी है कि उन्हें टोकन दिया जा रहा है, जिससे उनका नंबर दो घंटे बाद आ रहा है।

फीस के नाम पर हो रही मोटी रकम वसूल

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स्कूलों से बच्चों को पहले ही फोन कर कहा जाता कि स्कूल बैग मे संबधित शिक्षण सामग्री लेकर स्कूल आना है। स्कूलों में नये छात्रों से प्रवेश शुल्क के नाम पर भारी डोेनेशन तथा पुराने छात्रांें से शाला विकास शुल्क और टयूशन शुल्क के नाम से राशि वसूली की जा रही है। नर्सरी प्रायमरी कक्षा के शिक्षण फीस 15000 से प्रारंभ है। अब खुद सोच लो कि 15000 में छोटे छोटे नौनिहाल को क्या सिखा दिया जायेगा। अगर देखा जाए 15000 रुपये ते में 12वी पास छात्र सरकारी कालेज से ग्रेजुएशन ही कर लेगा।

निजी स्कूलों की मनमानी पर हो रोक

मप्र शिक्षा विभाग को निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक लगानी चाहिए। ऐसे स्कूलों को मान्यता दे जो छात्रों के हित में अपने स्वार्थ से उपर उठकर सोचे। छात्रों को ऐसी शिक्षा दे जो उनको काबिल बनाए उनकी क्षमताओं को जाग्रत करें और उनके विश्वास को प्रबल करे ताकि वह पढ़ाई के साथ जीवन की परीक्षाओं में भी सफलता प्राप्त करें। आज स्कूलों में पढ़ाई सिर्फ सिलेवस कंपलीट कराने वाली होती है।

सीएम साहब निजी स्कूलों की मनमानी पर लगाए रोक

माननीय मुख्यमंत्री महोदय से कहना चाहते है कि निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाई जाएं। किसी भी निजी स्कूलों में शिक्षा का अधिकार हर छात्र का मौलिक अधिकार इससे किसी कारणवश भी उसे वंंचत न किया जाए। प्रत्येक विद्यालय अपनी कथनी करनी से समाज में स्थान प्राप्त करें। अगर किसी बच्चे की फीस आगे पीछे कम ज्यादा होती है तो उसे शिक्षा से वंचित न किया जाए। शिक्षा हर छात्र का मौलिक अधिकार हैं। सरकार को सभी सरकारी निजी विद्यालयों को स्पष्ट निर्देश देने ही चाहिए। फीस को लेकर छात्रों को शिक्षा से वंचित नही किया जा सकता हैं।इस समय अभिभावक बहुत परेशान है स्कूल मैनेजमेंट से कुछ कह नही सकते हैं अगर कहा जाये तो बच्चे को कम नंबर दिए जाते और कई प्रकार मानसिक दबाब भी डाला जाता हैं इसलिए मजबूरी है कि कोई भी अभिभावक स्कूल के विरुद्ध खुल कर नही बोल पाते है। क्योकि स्कूल में हर विषय में प्रक्टिकल के नंबर होते हैं जो विषय के टीचर द्वारा दिए जाते हैं यह प्रक्टिकल नंबर छात्र का परसेंटेज बढ़ता हैं। इसलिए कोई छात्र छात्रा स्कूल के शिक्षक मेनेजमेंट के विरुद्ध बोलने की हिम्मत नही कर सकता है।