BIG NEWS : घने जंगलो के बीच 3000 फिट उंची पहाड़ी पर विराजमान है ” विघ्नहर्ता” दर्शन के लिए उमड़ता भक्तो का जनसैलाव
मकड़ाई एक्सप्रेस 24 धर्म अध्यात्म। भारत में ऐसे कई मंदिर मौजूद हैं, जो अपनी विशेषताओं और रहस्यमयी कारणों की वजह से दुनिया भर में मशहूर हैं. एक ऐसा ही आस्था का केंद्र है|भगवान श्रीगणेश का एक मंदिर, जो घने जंगल के बीच एक पहाड़ी के ऊपर स्थित है| छत्तीसगढ़ में ढोलकल पहाड़ी के ऊपर स्थित यह मंदिर भक्तों के लिए बेहद खास है. कहते हैं यहां साल भर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. बताया जा रहा है कि, करीबन 1 हजार साल पुराना यह गणेश जी मंदिर समुद्र तल से 3000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है|
खास बात यह है कि, यहां विराजमान गणेश जी की प्रतिमा ढोलक के आकार की है. यही वजह है कि इस पहाड़ी को ढोलकल पहाड़ी और ढोलकल गणपति के नाम से पुकारा जाता है. प्रतिमा में गणेश जी ने अपने ऊपरी दाएं हाथ में फरसा और ऊपरी बाएं हाथ में अपना टूटा हुआ दांत पकड़े हुए हैं. निचले दाएं हाथ में माला और बाएं हाथ में मोदक पकड़े हुए हैं|
गणेश जी की अनोखी मूर्ति छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में लगभग 3000 फीट की ऊंचाई पर ढोलकल पर्वत पर स्थित है. इस प्रतिमा को 11वीं शताब्दी में तराशा और स्थापित किया गया था और नियमित रूप से इनकी पूजा की जा रही है, लेकिन समय के साथ यह लोगों की स्मृति से बाहर हो गया और पेड़ों से ढक गया और कई वर्षों तक छिपा रहा, जब तक कि 1943 में बैलाडिला खदानें खोलने से पहले अंग्रेजों द्वारा इसे फिर से खोजा नहीं गया. प्रतिमा लगभग 3 फीट ऊंची है, जिसका वजन 500 किलोग्राम से अधिक है. ग्रेनाइट के एक ठोस टुकड़े से बनाई गई गणेश की मूर्ति, छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा क्षेत्र में बस्तर के गहरे, अभेद्य जंगलों के बीच एक सुंदर गोलाकार चौकी पर स्थित है|
( साभार इंटरनेट)