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Jain Muni sant: जैन मुनि आचार्य श्री विद्यासागर महाराज का, चंद्रगिरी में अंतिम संस्‍कार हुआ, अंतिम दर्शन करने उमड़े लाखो लोग देखे विडियो

मकड़ाई एक्सप्रेस 24 छत्तीसगढ़। जैन मुनि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने शनिवार रविवार की दरम्यानी रात 2.30 बजे संल्लेखना पूर्वक समाधि (देह त्याग दी)  है। मिली जानकारी के अनुसार जैन मुनि आचार्य वि़द्यासागर जी  कुछ दिनों से अस्वस्थ थे। विगत तीन दिनों से उन्होने अन्न जल पूरी तरह से त्याग दिया था। अंतिम सांस तक चैतन्य रहे और मंत्रोच्चार के साथ उन्होने देह त्याग दी। आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज का ब्रह्मलीन होना देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है।

अंतिम दर्शन के लिये उमड़ा जनसैलाब

छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ स्थित चंद्रगिरी तीर्थ पर उन्होंने अंतिम सांस ली है। डोंगरगढ़ के चंद्रगिरी तीर्थ में उनका अंतिम संस्कार किया गया।जैन समाज ही नही उनको मानने वाले लाखों की संख्या में लोगो में शोक की लहर व्याप्त हो गई। आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के अंतिम दर्शन के लिये डोंगरगढ़ स्थित चंद्रगिरी में बड़ी संख्या में उनके अनुयायियों जनसैलाब उमड़ पड़ा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी आचार्य श्री विद्यासागर के निधन पर शोक व्‍यक्‍त किया है। छत्‍तीसगढ़ सरकार ने आधे दिन का राजकीय शोक घोषित कर दिया है।मुख्‍यमंत्री विष्‍णुदेव साय ने जैन मुनि आचार्य विद्यासागर महाराज के निधन पर शोक जताया।

संक्षिप्त परिचय
आचार्यश्री का जन्म 10 अक्टूबर 1946 को कर्नाटक प्रांत के बेलगांव जिले के सदलगा गांव में हुआ था। उन्होंने 30 जून 1968 को राजस्थान के अजमेर नगर में अपने गुरु आचार्य श्री ज्ञानसागर जी से मुनि दीक्षा ली थी। आचार्यश्री ज्ञानसागर जी  ने उनकी कठोर तपस्या को देखते हुए उन्हें अपना आचार्य पद सौंपा था। आचार्य श्री 1975 के आसपास बुंदेलखंड आए थे। उन्होंने अपना अधिकांश समय बुंदेलखंड में व्यतीत किया।

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नेमावर में भी काफी समय तक रहे
जैन मुनि विद्यासागर जी महाराज काफी समय तक नेमावर जैन मंदिर में रहें जहां पर भक्तों को उनका दर्शन प्रवचन लाभ मिलता था। हरदा, देवास और आस पास के कई जिलों के लोग नेमावर जाकर मुनि के दर्शन और प्रवचनों का लाभ लेते थे। उनको मानने वालो की संख्या आज लाखों में है। जिले में मुनि के देह त्याग का  समाचार सुनकर उनके मानने वालों में शोक लहर व्याप्त हो गई है।
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