बदामी – एथेनाल फैक्टरी की चर्चा सुनने गयो थो खूट तक दाजी
दाजी – वां तो भोत बास आये 4 गांव वाला बोल रया
बदामी – पर परसाशन के लोग तो के कि बदबू नई वो खुशबू है। फैक्टरी की तरफ से अधिकारी ये बयान दे रय
दाजी – या गजब बात की यार! चावल और मक्का के किण्वन में कसी खुशबू आय ! भगवान जानें। अब जो वां रेय वो जाने भोगे। वैसे ज्यादा देर तो खुशबू भी तेज होय तो भी दम तो घुटे बदामी ।
बदामी – बात तो सई है। पर फेक्ट्री की तरफ से कोई न मुंह नई खोल्यो!
दाजी – पेपर में तो लिखेल थो कि मौके पर मौजूद अधिकारी होन फैक्टरी के कैंटीन में जीम्या चुट्या !
बदामी – अब ऐसा खुशबूदार जगो ,बारिश का मौसम में भूख लगी जाय। काई करो। दाजी खुशबू और बदबू में कई फरक
दाजी – चल तू सरक। दोई म बू कामन आय, दूर का ढोल सुन्यो कभी, भोत मनभावन रेय, कने से कान फोड़ देय !
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दाजी- केरे बदामी अखबार चैनल वाला होंन भी तो गएल था वां, इनको बदबू आयी कि खुशबू ?
बदामी – सई के रया दाजी। अभी तक तो या बात कोई नि बोल्यो !
दाजी – कग्गज म तो फैक्टरी मजबूत है। प्रदूषण बोर्ड को भी उनका पास मंजूरी लिखेल है। अब गांव आला काई करेगा।
बदामी – देखो अब परसासन काई रास्तों निकाले। स्कूल का बच्चा , गांव वाला होंन भोत किचवाएल है बदबू (खुशबू ) से
दाजी – हरदे में लिस्ट की खूब चर्चा ह, लिस्ट म कई आयगो
बदामी – म्हारा हाथ म तो किराना सामान की लिस्ट है दाजी और काई की लिस्ट आ रई अब । कोई परीक्षा हुएल है कई । केको रिजल्ट आ रयो।
दाजी – लोग होन का जी गोल गोल भटक रया, पूछताछ रया इधर उधर !
चौधरी मोहन गुर्जर मध्यप्रदेश के ह्र्दयस्थल हरदा के जाने माने वरिष्ठ पत्रकार है | आप सतत 15 वर्षो से पत्रकारिता के क्षेत्र में अपनी सेवायें देते आ रहे है। आपकी निष्पक्ष और निडर लेखनी को कई अवसरों पर सराहा गया है |