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Froud Job News : वन विभाग में नौकरी देने के नाम पर युवाओ से लाखो की ठगी, भेजे नियुक्ति पत्र भी

मकड़ाई एक्सप्रेस 24 इंदौर। ठग लोगों को झांसे में लेने के लिए सरकारी विभाग का सहारा ले रहे हैं। विभाग में नौकरी दिलाने के नाम पर दस से पंद्रह हजार रुपये मांग रहे हैं। अब वन विभाग में नियुक्ति देने का मामला सामने आया है।दरअसल, इसका खुलासा तब हुआ जब नियुक्ति पत्र लेकर लोग नवरत्न बाग स्थित वन मंडल कार्यालय पहुंच गए। नौकरी का विज्ञापन अखबारों में प्रकाशित किया जा रहा है, जिसमें वन विभाग के बजाय भारतीय वन विभाग बताया जाता है। एक मोबाइल नंबर भी दर्शाया रहता है, जो फारेस्ट डिपार्टमेंट के नाम से बताते हैं।दिए गए नंबर पर संपर्क करते हुए ठगी करने वाले लोगों से ठग पहले व्यक्तिगत जानकारी हासिल करते हैं। उसके बाद 10वीं-12वीं और स्नातक की अंकसूची और आधार मांगा जाता है। ये सारे दस्तावेज वाट्सएप पर भेजने को कहते हैं। अंकसूची को सत्यापन करवाने के लिए भोपाल देने की बात करते हैं। इसके बदले 550 रुपये आनलाइन पेमेंट के माध्यम से जमा करवाते है। रुपये देने के बाद व्यक्ति से निरंतर संपर्क किया जाता है।

ज्वाइनिंग के लिए भेजे फर्जी नियुक्ति पत्र – दस्तावेजों के सत्यापन के बाद विभाग में विभिन्न पदों के बारे में बताते हैं, जो वन विभाग में नहीं होते हैं। जैसे वन उद्योगकर्मी, वन क्लर्क, वन जीवरक्षक और वनरक्षक शामिल थे। योग्यता के आधार पर पदस्थापना देने की बात कही जाती है। यहां तक कि रेंजर को क्षेत्राधिकारी और सीसीएफ को राज्य वन संरक्षक और पीसीसीएफ को प्रधान वन संरक्षक नियुक्ति पत्र में दर्शाया गया और बाद में ट्रेनिंग देना बताया गया। इसके लिए 15-15 हजार रुपये मांगे। वन नियमों के बारे में फोन पर दो दिन तक ट्रेनिंग की जानकारी दी जाती है और इसके बाद 28 हजार 500 रुपये वेतन पर नियुक्ति दी जाएगी। इसके लिए घर के पते पर नियुक्ति पत्र भी भेजा जाता है।

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शपथ पत्र लेकर आए लोग –  नियुक्त पत्र लेकर पिछले कुछ समय से तीन से चार व्यक्ति पहुंच चुके हैं। शुक्रवार को भी महेश कुमावत नामक व्यक्ति आया। उसने पत्र दिखाया, जिसमें भारतीय वन विभाग की सील लगी थी। नियमों और सेवा शर्तों का जिक्र था। यहां तक कि पत्र में एक 100 रुपये का स्टांप की छायाप्रति लगी थी, जो शपथ पत्र बताया गया।

क्या कहते है अधिकारी 

महेश ने बताया कि मोबाइल नंबर पर संपर्क करते ही एक व्यक्ति ने दस्तावेज मांगे। फिर ट्रेनिंग देने की बात कही, जो 28 से 35 दिनों की रही। इसके लिए पंद्रह हजार रुपये आनलाइन जमा करवाए। शंका होने पर वन विभाग कार्यालय में संपर्क किया। वे बताते हैं कि वन अफसरों से बातचीत होने के बाद पाया कि मैं ठगी का शिकार हो चुका हूं और तुरंत पुलिस में आवेदन दिया है।वन विभाग में नौकरी दिलाने के नाम पर कुछ लोग ठगी करने में लगे हैं। विभाग में किसी भी प्रकार की कोई सीधी भर्तियां नहीं होती हैं। लोगों से सतर्क रहने की अपील की गई। यहां तक कि ठगी के शिकार लोगों को पुलिस में प्रकरण दर्ज करवाना चाहिए। वैसे इस संबंध में पुलिस को पत्र लिखकर जांच करने को कहा जाएगा। -नरेंद्र पंडवा, डीएफओ, वन विभाग