बच्चों पर मोबाइल फोन का बढ़ता प्रभाव और AIIMS की चेतावनी
डिजिटल युग में बच्चों का मोबाइल फोन और अन्य स्क्रीन डिवाइसों का उपयोग तेजी से बढ़ा है। हालांकि, यह तकनीक हमारे जीवन को सरल बनाती है, लेकिन बच्चों पर इसके नकारात्मक प्रभाव भी उतने ही गंभीर हैं। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के विशेषज्ञों ने बच्चों के स्वास्थ्य और विकास पर स्क्रीन टाइम के बढ़ते दुष्प्रभावों को लेकर माता-पिता और शिक्षकों को चेतावनी दी है।
बच्चों में मोबाइल के उपयोग का बढ़ता चलन
कोरोना महामारी के दौरान ऑनलाइन पढ़ाई, खेल और मनोरंजन के लिए मोबाइल फोन का उपयोग बढ़ गया। इससे बच्चों में स्क्रीन पर बिताया जाने वाला समय अत्यधिक हो गया। यह बढ़ता स्क्रीन टाइम उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है।
AIIMS के डॉक्टरों के अनुसार, बच्चों में मायोपिया (निकट दृष्टि दोष), मोटापा, चिड़चिड़ापन, और एकाग्रता की कमी जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं। यह माता-पिता और शिक्षकों के लिए एक चेतावनी है कि अगर समय पर ध्यान नहीं दिया गया, तो यह समस्या भविष्य में और गंभीर हो सकती है।
मोबाइल फोन के दुष्प्रभाव
आंखों पर प्रभाव
लगातार स्क्रीन देखने से बच्चों की आंखों पर तनाव बढ़ता है। AIIMS के डॉक्टरों ने बताया कि मायोपिया का खतरा बढ़ गया है। आंखों में सूखापन और जलन होती है। लंबे समय तक स्क्रीन देखने से आंखों की मांसपेशियां कमजोर हो सकती हैं।
मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव
मोबाइल फोन के अत्यधिक उपयोग से बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी गंभीर प्रभाव पड़ता है। AIIMS के एक अध्ययन में यह पाया गया कि 33% किशोर डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं। 25% बच्चों में चिंता के लक्षण पाए गए। गुस्सा, चिड़चिड़ापन और सामाजिक कौशल में कमी भी देखी गई।
शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रभाव
मोबाइल फोन का अधिक उपयोग बच्चों की शारीरिक गतिविधियों को कम कर रहा है। इसके परिणामस्वरूप मोटापा बढ़ रहा है। गर्दन और कंधों में दर्द होता है। लंबे समय तक एक जगह बैठने से शरीर में कठोरता आती है।
AIIMS की गाइडलाइंस
AIIMS ने बच्चों के मोबाइल फोन उपयोग को सीमित करने के लिए कुछ सिफारिशें दी हैं:
1. स्क्रीन टाइम सीमा
- 2 साल से छोटे बच्चों को स्क्रीन से दूर रखें।
- 15 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए 2 घंटे से अधिक स्क्रीन टाइम न हो।
2. 20-20-20 नियम
- हर 20 मिनट पर 20 सेकंड का ब्रेक लें और 20 फीट दूर देखें।
3. उचित रोशनी
- कमरे में अच्छी लाइटिंग हो और स्क्रीन पर रौशनी सीधे न पड़े।
4. सही पोस्चर
- मोबाइल या टैबलेट का उपयोग करते समय सही पोस्चर बनाए रखें।
5. आउटडोर गतिविधियां
- रोजाना कम से कम 1 घंटा शारीरिक गतिविधि के लिए निकालें।
6. नियमित जांच
- साल में एक बार आंखों का चेकअप जरूर कराएं।
माता-पिता की भूमिका
बच्चों की दिनचर्या को सही दिशा में ले जाना माता-पिता की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। AIIMS ने माता-पिता के लिए कुछ सुझाव दिए हैं
- घर में स्क्रीन टाइम के लिए नियम बनाएं और खुद भी पालन करें।
- रात को बच्चों के कमरे में मोबाइल फोन न रखें।
- बच्चों को पढ़ाई और खेल में संतुलन बनाना सिखाएं।
- शारीरिक गतिविधियों के लिए प्रेरित करें।
स्कूलों की भूमिका
AIIMS के विशेषज्ञों ने स्कूलों के लिए भी कुछ सिफारिशें दी हैं:
- स्कूल में आउटडोर गेम्स के लिए समय निर्धारित करें।
- डिजिटल उपकरणों का सही उपयोग सिखाएं।
- बच्चों की आंखों की नियमित जांच कराएं।
मोबाइल फोन के सकारात्मक उपयोग
हालांकि, मोबाइल फोन का सही और सीमित उपयोग बच्चों के लिए फायदेमंद भी हो सकता है।
- शैक्षिक एप्स: पढ़ाई के लिए उपयोग करें।
- ज्ञानवर्धक वीडियो: बच्चों को नई चीजें सिखाने में मददगार।
AIIMS की चेतावनी हर माता-पिता और शिक्षक के लिए एक अलार्म है। बच्चों का स्क्रीन टाइम सीमित करना और उन्हें शारीरिक गतिविधियों में शामिल करना बहुत जरूरी है। तकनीक का सही उपयोग हमें सिखाना चाहिए, ताकि बच्चे डिजिटल और वास्तविक दुनिया के बीच संतुलन बना सकें।
माता-पिता, शिक्षक और समाज को एकजुट होकर बच्चों के स्वस्थ भविष्य के लिए प्रयास करना चाहिए। AIIMS की गाइडलाइंस को अपनाकर हम बच्चों को बेहतर स्वास्थ्य और विकास का तोहफा दे सकते हैं।
डिस्क्लेमर: यह लेख AIIMS के विशेषज्ञों द्वारा दी गई जानकारी पर आधारित है। स्वास्थ्य संबंधी सलाह के लिए कृपया डॉक्टर से परामर्श करें।
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