हरदा / स्वास्थ्य विभाग ने नागरिकों को सलाह दी है कि वे बदलते मौसम में खान-पान का ध्यान रखें। अधिक पानी वाले मौसमी फल और सब्जियां जैसे तरबूज, खीरा, संतरा आदि खाएं। अक्सर पानी तथा नमकीन पेय जैसे लस्सी, नींबू पानी और ओआरएस का घोल पियें। घर के अंदर तथा छायादार स्थानों पर रहें। अगर काम के लिये बाहर जाना आवश्यक हो तो कोशिश करें सुबह या शाम के समय ही जायें। आरामदायक, सूती और हल्के रंग के पतले और ढीले कपड़े पहनें। बाहर जाने पर छाता, टोपी अथवा तौलिया का प्रयोग करें। ठंढे पानी से अक्सर स्रान करें तथा कमरे का तापमान कम रखने के लिये पर्दा, पंखा आदि का उपयोग करें तथा लू लगने की स्थिति में ठंडा वातावरण बनाकर, ठंडे पानी का स्पंज और कपड़े में लिपटे बर्फ लगाकर जरूरतमंदों को तत्काल चिकित्सा सहायता प्रदान करें।
लू लगने के संकेत
लू लगने के कारण होने वाली बीमारियों से बचा जा सकता है यदि आप या कोई भी अन्य व्यक्ति लू के कारण होने वाले तनाव के लक्षणों का अनुभव करता है तो तत्काल चिकित्सक से संपर्क करें। चक्कर आना, जी मिचलाना, अत्यधिक प्यास लगना, पेशाब कम होना, सिरदर्द, हॉफना और दिल की धड़कन तेज होना आदि लक्षण लू लगने के संकेत होते है।
डिहाइड्रेशन के लक्षण
डिहाइड्रेशन अर्थात निर्जलीकरण के लक्षण सांस लेने में तकलीफ, होंठ सूखना या खून आना, स्किन ड्राई होना, सिर दर्द, सुस्ती और थकान, एकाग्रता में कमी, कब्ज, सांस में बदबू आना, मांसपेशियों में दर्द, पेशाब कम होना या उसका रंग बदलना, शरीर में पानी की कमी होने पर होती है। यह स्थिति तब पैदा होती है, जब शरीर से निकलने वाले पानी की मात्रा दिनभर में ली जाने वाली पानी की मात्रा से अधिक हो जाती है। व्यक्ति विशेष और शरीर में पानी की मौजूदगी के आधार पर समस्या की गंभीरता कम या ज्यादा हो सकती है। डिहाइड्रेशन अर्थात निर्जलीकरण से बचाव के उपाय लिये तरबूज, खरबूज, संतरा जैसे रसदार फल अधिक मात्रा में खाएं, ओरआरएस का घोल पिएं, नींबू पानी, छाछ, आम पन्ना, नारियल पानी या फ्रेश जूस पिएं, घर से बाहर निकलते वक्त पानी की बोतल साथ में लेकर जाएं, लगातार पानी पीते रहें, चाय-कॉफी अथवा गर्म पेय का सेवन करने से बचें।