मकड़ाई एक्सप्रेस 24 हरदा। नागपंचमी हर साल सावन महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि सोमवार को मनाई जाएगी। इस इस बार तीन वर्ष बाद नागपंचमी सावन के सोमवार को मनाई जा रही है। बताया जाता है कि नागपंचमी के दिन सांपों की पूजा करने से सर्प दंश का भय नहीं रहता है। साथ ही अकाल मृत्यु का खतरा भी टलता है। इसके अलावा नाग देवता को धन का रक्षक कहा गया है, इनकी पूजा करने से धन दौलत की प्राप्ति होती है।
शिवालयों में नागदेवताओं की पूजा
धर्म-शास्त्रों के अनुसार भगवान विष्णु शेषनाग की शैय्या पर शयन करते हैं। भगवान शिव ने तो अपने गले में वासुकी नाग को धारण किया है। यही कारण है कि हम लोग नागपंचमी के दिन नागदेवता को पूजते आए हैं। नागपंचमी पर शिवालयों में विराजे नागदेवताओं की पूजा होगी। साथ ही लोग घरों पर लोहे, चांदी, पीतल, तांबे के बने नाग-नागिन को खरीदकर उन पर दूध अर्पित करेंगे।
यह है शुभ मुहूर्त
प्राप्त जानकारी के अनुसार नागपंचमी सावन के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 20 अगस्त, रविवार की रात 9:03 से शुरू होकर 21 अगस्त सोमवार की रात 09:54 तक रहेगी। उदयातिथि के अनुसार नागपंचमी 21 अगस्त को मनाई जाएगी। 21 अगस्त की रात को चित्रा नक्षत्र रहेगा। यह मध्यरात्रि 03:47 तक रहेगा। इस साल 21 अगस्त को नागपंचमी की पूजा के लिए पूरे दिन शुभ मुहूर्त हैं, जिससे आप पूरे दिन में कभी भी पूजा कर सकते हैं।दो शुभ योग बनेंगे 21 अगस्त को सुबह से रात 09:4 तक चित्रा नक्षत्र का शुभ योग है। उसके बाद शुक्ल योग प्रारंभ हो जाएगा, जो रात तक रहेगा। वहीं इस दिन का अभिजित मुहूर्त सुबह 11:55 मिनट से लेकर दोपहर 12:35 तक रहेगा।
ऐसे करें पूजा
नागपंचमी के दिन घर के मुख्य द्वार के दोनों तरफ नाग का चित्र बनाकर या गोबर से सर्प की आकृति बनाकर उस पर घी, दूध एवं जल अर्पित करें। साथ ही दही, दूर्वा, धूप, दीप, पुष्प, माला आदि से विधिनुसार पूजा करें। इसके बाद गेहूं, दूध, धान के लावा का भोग लगाएं। ऐसा करने से नाग देवता संतुष्ट होते हैं, साथ ही घर में नाग प्रवेश नहीं करते हैं।
जिले में सभी शिव मंदिरों आज खासी भीड़ रहेगी। जिले में हरदा टिमरनी और खिरकिया सिराली और हंडिया भक्ति के प्रमुख केंद्र है। जहां पर स्थित भगवान भोलेनाथ का विशेष पूजन आराधना होगी। आज श्रावण सोमवार और नागपंचमी दो त्यौहार एक साथ होने से आज के दिन महत्व बढ़ जाता है। टिमरनी का शिवमंदिर बहुत प्राचीन होने से इसका बहुत महत्व है। प्राचीन काल में टिमरनी को छोटी काशी भी कहा जाता था। टिमरनी का शुक्रवारा स्थित शिव मंदिर बहुत ही चमत्कारी है लोगो मनोकामनाएं पूर्ण होती है क्षेत्र की जनता के लिए आस्था का केंद्रं बना हुआ है।
सिराली में तिलभांडेश्वर मंदिर और भैरवघाटी में लोग भगवान शिव और नागदेवता का पूजन करने जात है यहां पर भी बहुत मान्यता है लोगो की श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है क्षेत्र के दूर दराज के ग्रामों से लोग यहां पर आकर पूजन करते है।
हरदा में गुप्तेंश्वर भगवान का बहुत ही पुराना मंदिर है जो कि श्रावण मास में लोगो के बीच आकर्षण का केंद्र बना हुआ है अभी कुछ वर्ष पूर्व यहां पर भगवान शिव के 12 ज्योर्तिलिंग की स्थापना की गई हैं जिससे प्रति सोमवार यहां पर श्रद्धालुआ सैलाब उमड़ पड़ता हैं इसके साथ् मदिर के सामने बहने वाली अजनाल नदी से यहां नजारा अधिक सुंदर हो जाता है।
खिरकिया। यहां पर चारुवा का प्राचीन गुप्तेश्वर मंदिर बहुत ही सिद्ध माना गया है। इसके बारे में बताया जाता है कि यह मंदिर द्वापर युग का है यहां पर कुछ कलाकृतियां जिसके बारे मे अभी तक जानकारी नही जुटा पाई गइै है जो कि रहस्य बना हुआ है। यहां पर आकर भक्तो बहुत सुकून मिलता है।