मकडाई एक्सप्रेस 24 इंदौर। अभी देश मे तिरुपति बाला जी मन्दिर के प्रसाद घी मे अमानक पदार्थ मिलावट की बात सामने आई थी। जबकि हम हमारे आस पास मिल रहे घी पर ध्यान नही देते है कई ब्राण्ड नकली घी बनाकर हमें भी बेचकर हमारी सेहत से खिलवाड़ कर रहे है ।
तो दूसरी और पूजा वाला घी के नाम भी कुछ ऐसा ही हो रहा है। देसी घी जैसा स्वाद, लाइट घी, पूजा घी और बटर से बेहतर जैसी टैग लाइन के साथ घी और मक्खन की नकल बेची जा रही है। दुकान, सुपर स्टोर्स से घी के भ्रम में उपभोक्ता वनस्पति तेल और केमिकल का मिश्रण खरीद रहे हैं।
5000 किलो नकली घी पकडाया
इंदौर में एक दिन पहले पकड़ी गई पांच हजार किलो से ज्यादा नकली घी की खेप भी असल में इसी मार्केटिंग रणनीति का हिस्सा है। नियमों का झोल ऐसा है कि घी की नकल बनाने और बेचने के बावजूद मिलावट की कार्रवाई से ये कारोबारी बच जाते हैं।
लाइट घी और देसी घी जैसा स्वाद
कई ब्रांड तो पैक पर लाइट घी या देसी घी जैसा स्वाद लिख देते हैं। इसमें घी शब्द को बोल्ड कर शेष इबारत को छोटा कर दिया जाता है। कोने में या बहुत छोटे अक्षरों में इन पर कुकिंग मीडियम लिखा होता है। शुद्ध घी से 100 से 200 रुपये सस्ता होने से उपभोक्ता लालच में आ जाता है। ब्रांड नेम और पैकिंग देख असली घी समझ खरीद भी लेता है।
पूजा वाला घी पूरी तरह नकली
पूजन सामग्री की दुकानों पर पूजा घी के नाम से बिकने वाला घी तो पूरी तरह नकली होता है। इनमें से कई तो अखाद्य तेलों से बने होते हैं। आम उपभोक्ता घी के साथ पूजा जैसा पवित्र शब्द पढ़कर इसे असली मानकर खरीद लेता है। बीते वर्षों में एक के बाद एक कई ब्रांड ऐसे पूजा घी लांच कर चुके हैं। नियमों की अस्पष्टता इन्हें नकली घी बेचने की आजादी दे रही है।
इस तरह के घी पर कार्रवाई के नियम नहीं
हाई कोर्ट के वकील निमेष पाठक के अनुसार आमतौर पर ऐसे उत्पाद बना रहे कारोबारी पैकिंग पर देसी घी या शुद्ध घी नहीं लिखते हैं। इन पर कुकिंग मीडियम, घी जैसा स्वाद या घी का विकल्प लिखा जाता है। या सिर्फ घी की तस्वीर छापकर ब्रांड नेम छाप दिया जाता है। दरअसल कानून में कहीं भी ऐसी टैगलाइन या तस्वीर को प्रतिबंधित करने का प्रविधान नहीं हैं।ऐसे में कानूनन इन पर मिलावट या नकली घी बेचने की कार्रवाई नहीं हो सकती।
पूजा का घी बताकर बेचा जाता
बाजार में धड़ल्ले से बिक रहे घी पैक के पीछे ये बारीक अक्षरों में अवयवों का विवरण लिख देते हैं, जो आमतौर पर उपभोक्ता नहीं पढ़ता। पूजा वाला घी लिखकर निर्माता ग्राहको को गुमराह कर वे कार्रवाई से बचे रहते हैं क्योंकि उनकी दलील होती है कि यह खाने का नहीं, पूजा के लिए है। अंदेशा तो ये है कि ये पूजा लायक भी कि नही।
दुग्ध संघ अध्यक्ष ने सरकार से की मांग
बाजार में घी के विकल्प के तौर पर हाइड्रोजनेट तेल और वेजीटेबल फैट बेचा जा रहा है। इससे उपभोक्ता ठगा रहे हैं और बाजार में ब्रांडों विश्वसनीयता भी कम होती है। सरकार को स्पष्ट नियम बनाना चाहिए कि किसी भी ऐसे उत्पाद पर स्पष्ट रूप से बड़े अक्षरों में लिखा जाए कि यह घी नहीं है। – *मोतीसिंह पटेल, अध्यक्ष,दुग्ध संघ इंदौर*