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पत्रकारों से पुलिस नहीं पूछ सकती उनके सूत्र – SC

खबरो की सत्यता को आधार देने के लिए पत्रकारों के अपने सूत्र होते जिन्हे पूछने का पुलिस को कोई अधिकार नहीं है पुलिस का अपना भी तो मुखबिर तंत्र होता है। इसी बात को मा. सुप्रीम कोर्ट सपष्ट किया गया।

मकड़ाई एक्सप्रेस 24 विशेष। मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ् है। कई बार पत्रकारों की स्वतंत्रता पर पुलिस और राजनीतिक दबंगता हावी हो जाती है। पत्रकारों पर बढ़ते दबाव और पुलिसिया पूछताछ पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है । सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अगुवाई वाली बेंच ने साफ कर दिया है कि कोई भी पुलिस अधिकारी किसी भी पत्रकार से उसके सूत्रों के बारे में जानकारी नहीं मांग सकता है ।

पत्रकारो की स्वतंत्रता का हनन

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मा. सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 19(1) और 22 का हवाला देते हुए कहा कि पत्रकारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर किसी भी तरह का अंकुश अस्वीकार्य है । चीफ जस्टिस ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा – आजकल यह देखने को मिल रहा है , कि बिना किसी ठोस सबूत और बिना जांच के पत्रकारों पर मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं । पुलिस श्रेष्ठ बनने के चक्कर में पत्रकारों की स्वतंत्रता का हनन कर रही है । उन्होंने स्पष्ट किया कि यहां तक कि कोर्ट भी किसी पत्रकार को अपने सूत्र बताने के लिए बाध्य नहीं कर सकता।

फैसले का मीडिया ने किया स्वागत

मा. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का मीडिया जगत ने स्वागत किया।गौरतलब है कि पत्रकारों को अपने सूत्रों को गोपनीय रखने का अधिकार प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया एक्ट 1978 की धारा 15(2) में दिया गया है । हालांकि प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के नियम सीधे तौर पर कोर्ट में लागू नहीं होते , लेकिन यह पत्रकारिता की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए बेहद अहम हैं । सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला पत्रकारिता की स्वतंत्रता को दबाने की कोशिश पर बड़ा प्रहार है । यह साफ संदेश है कि पत्रकारिता लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है और उस पर गैरजरूरी दबाव या दखल स्वीकार्य नहीं होगा ।

पत्रकारो के अधिकार की रक्षा
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद राजनीतिक हलकों में भी हलचल मच गई है। विपक्षी दलों ने इस फैसले का स्वागत किया है और इसे लोकतंत्र के लिए सकारात्मक कदम बताया है ।इससे पत्रकारो के अधिकार की रक्षा होगी उन पर पुलिस का अनावश्यक दबाब नहीं रहेगा। सरकार के प्रवक्ताओं ने कहा है कि वे इस फैसले का सम्मान करते हैं और कानूनी प्रक्रिया के तहत आगे की रणनीति तैयार करेंगे ।