ब्रेकिंग
टिमरनी :मूंग खरीदी के संबंध में बैठक आयोजित की गई। बैठक में सभी व्यापारियों से किसानों को मूंग के उच... सभी बच्चों का स्कूल में प्रवेश दिलाएं, कोई भी बच्चा स्कूल जाने से न छूटे: कलेक्टर श्री जैन ने शिक्षा... Aaj ka rashifal: आज दिनांक 4 जून 2025 का राशिफल, जानिए आज क्या कहते है आपके भाग्य के सितारे टिमरनी: आदिवासी सरपंच ने कलेक्टर से लगाई गुहार मुझसे बिच्छापुर के पूर्व सरपंच फर्जी काम कराने का बना... हरदा : आदिवासी परिवार के लोग जबरन खेत में कब्जा करने की कर रहे कोशिश, पुलिस अधीक्षक, कलेक्टर को शिका... हरदा: कलेक्टर श्री जैन ने जनसुनवाई में सुनी नागरिकों की समस्याएं भोपाल: दुष्कर्म और ब्लैकमेलिंग के पांच आरोपी को पुलिस ने लिए रिमांड पर! पांचो आरोपियो के बैंक खातों ... अयोध्या श्रीराम मंदिर के शिखर पर स्थापित किया स्वर्ण कलश! मंदिर के स्वर्ण कलश की आभा से दमका क्षेत्र हरदा पुलिस को मिली बड़ी सफलता, डकैती की योजना बना रहे थे। 6 बदमाश, 3 पकड़ाए ,3 अंधेरे का फायदा उठाकर... Aaj ka rashifal: आज दिनांक 3 जून 2025 का राशिफल, जानिए आज क्या कहते है आपके भाग्य के सितारे

RBI vs मोदी सरकार: इतिहास में पहली बार सेक्शन 7 का होगा इस्तेमाल

भारत के केंद्रीय बैंक रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया और केंद्र की वर्तमान मोदी सरकार के बीच की तकरार अब खुलकर सामने आ रही है। जहां वित्त मंत्री अरुण जेतली ने देश में बैंक एनपीए का ठीकरा आरबीआई से सिर फोड़ा है तां वहीं खबर है कि सरकार ने आरबीआई एक्ट के सेक्शन 7 को लागू कर दिया है।

खबरों के मुताबिक सरकार ने हाल के हफ्तों में रिजर्व बैंक को पत्र भेजे हैं। ये पत्र सेक्शन 7 के अधिकार के तहत भेजे गए हैं। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के 83 साल के इतिहास में कभी, किसी सरकार ने इसका इस्तेमाल नहीं किया। अगर मोदी सरकार ने किया तो ऐसा करने वाली वो पहली सरकार होगी। वहीं सेक्शन 7 के इस्तेमाल के बाद केंद्रीय बैंक के पास अपनी मर्जी से फैसले करने की गुंजाइश बहुत कम रह जाएगी।

- Install Android App -

क्या है सेक्शन 7 
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ऐक्ट, 1934 की धारा 7 के तहत सरकार के पास एक खास पावर होती है। सरकार के पास यह अधिकार होता है कि वो जनता के हित को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय बैंक को दिशानिर्देश जारी कर सकती है। हालांकि जनता के हित को ध्यान में रखने हुए इसमें बैंक के गर्वनर का परामर्श जरूरी होता है।

क्या ​है मामला
मीडिया रिपोर्टों की मानें तो सरकार और आरबीआई के बीच खींचतान पिछले वित्तीय वर्ष के आरम्भ यानि मार्च-अप्रैल 2017 से ही चल रही है। पहली तकरार ब्याज दरों को लेकर ही हुई और उसके बाद जब इस साल जब नीरव मोदी और मेहुल चौकसी के भाग जाने की खबर सामने आई तो सरकार ने ठीकरा आरबीआई के सिर फोड़ा और उसके सख्त एनपीए नियमों और निगरानी तंत्र पर सवाल उठा दिये। सरकार चाहती है कि आरबीआई कुछ बैंकों को क़र्ज़ देने के मामले में उदारता दिखाए। आरबीआई के पास भुगतान सिस्टम के मामले में जो नियामक तंत्र है उसे सरकार शायद वापस लेना चाहती है।