जंगल में, एक बूढ़ा और बुद्धिमान बंदर रहता था। वह जंगल में सभी जानवरों के लिए एक नेता और सलाहकार के रूप में सम्मानित था। एक दिन, उसने देखा कि जंगल में कुछ अजीब हो रहा है। पेड़ सूख रहे थे, नदियाँ सूख रही थीं, और मौसम अप्रत्याशित हो रहा था। बूढ़ा बंदर चिंतित हो गया। उसने जंगल के सभी जानवरों को इकट्ठा किया और उनसे कहा, “मुझे लगता है कि हमारे जंगल में कुछ गलत हो रहा है। पेड़ सूख रहे हैं, नदियाँ सूख रही हैं, और मौसम अप्रत्याशित हो रहा है। मुझे लगता है कि हमें इसका कारण जानने और इसे ठीक करने के लिए कुछ करना होगा।”
बूढ़ा बंदरः मेरे प्यारे साथियों, क्या किसी ने भी इन बदलावों को महसूस किया है? क्या किसी को इसका कारण समझ आ रहा है?
हाथी (गहरी आवाज़ में): बंदर राजा, मैंने भी देखा है कि पानी कम हो रहा है। मुझे अब पहले जितनी आसानी से कीचड़ नहीं मिल रही, जिससे मेरी त्वचा सूखने लगी है।
हिरण (घबराई हुई आवाज़ में): और मैं! घास सूख रही है, मिलने में बहुत मुश्किल हो रही है। मेरे बच्चे भूखे हैं!
बूढ़ा बंदरः तो यह सच है। समस्या गंभीर है। हमें एक योजना बनानी होगी। उल्लू, तुम सबसे
बुद्धिमान हो, क्या तुम्हारे पास कोई सुझाव है?
उल्लू (धीरे से): हु… हु… मैंने अपनी उड़ान के दौरान देखा है, जंगल के किनारे के पेड़ विशेष रूप से प्रभावित हैं। क्या ऐसा हो सकता है कि समस्या जंगल के बाहर से आ रही हो?
बूढ़ा बंदरः यह एक दिलचस्प विचार है, उल्लू। हम क्या कर सकते हैं?
उल्लू: हम कुछ जानवरों को जंगल की सीमा पर जाँच करने के लिए भेज सकते हैं। शायद
उन्हें कुछ सुराग मिल जाए।
बूढ़ा बंदरः हाँ। यह सही होगा। चीता, तुम सबसे तेज़ हो, और भालू, तुम सबसे मजबूत हो। क्या तुम दोनों जा सकते हो?
चीता (आत्मविश्वास से): मैं तैयार हूँ, राजा। मैं अभी जाकर देखता हूँ।
भालू (गंभीरता से): हाँ, मैं भी तुम्हारे साथ चलूँगा। इस जंगल को बचाने के लिए कुछ भी करने को तैयार हूँ।
बूढ़ा बंदरः बहुत अच्छा! जल्दी करो और सुरक्षित रहो। हम तुम्हारी प्रतीक्षा करेंगे। और बाकी सब, प्रार्थना करो कि हमें इसका हल मिल जाए।
आगे चलकर, चीता और भालू जंगल की सीमा पर क्या खोजेंगे? क्या वे इस समस्या का हल ढूंढ पाएंगे?
चीता और भालू ने जंगल की घनी हरियाली को पार करते हुए अपना सफर शुरू किया। चीता आगे-आगे फुर्ती से दौड़ रहा था, जबकि भालू उसके पीछे अपनी मजबूत चाल से चल रहा था। जैसे-जैसे वे जंगल की सीमा के करीब पहुँच रहे थे, उन्होंने महसूस किया कि हवा में एक अजीब सी गंध है मिट्टी और धुएं का मिश्रण।
चीता (नाक सिकोड़ते हुए): भालू, क्या तुम्हे भी ये अजीब गंध आ रही है?
भालू (चारों तरफ सूंघते हुए): हाँ, चीता। ये धुंए जैसी है, लेकिन कुछ और भी… मिट्टी की गंध भी है, लेकिन बहुत
मजबूत।
वे आखिरकार जंगल के किनारे पहुँच गए। वहां का दृश्य भयानक था। हरे-भरे पेड़, जो कभी इस जगह की शान हुआ करते थे, अब ठूंठ बनकर खड़े थे। दूर तक, उन्होंने एक बड़ी बस्ती देखी, जहां से धुएं के बादल आसमान में छा रहे थे। चीता (गुस्से से): ये क्या है? ये बस्ती किसने बसाई? और ये सब आग क्यों है?
भालू (गंभीरता से): मुझे लगता है, चीता, कि यही हमारी समस्या की जड़ है। ये इंसान हैं, और उन्होंने जंगल को
काट डाला है!
वे बस्ती की ओर चुपके से बढ़े। उन्होंने देखा कि इंसान पेड़ों को काट रहे हैं और उन्हें जला रहे हैं। उन्होंने यह भी देखा कि एक बड़ी नदी, जो कभी जंगल में पानी का मुख्य स्रोत थी, को डायवर्ट करके बस्ती में ले जाया जा रहा है। चीता (दबदबाते हुए): ये तो बहुत गलत है। ये लोग हमारे जंगल को नष्ट कर रहे हैं!
भालू (शांत रहने की कोशिश करते हुए): हमें शांत रहना होगा, चीता। हमें राजा बंदर को यह सब बताना होगा।
उन्होंने बस्ती से तथ्यों को जमा किया, जैसे वे जंगल में प्रवेश करते हैं, और वे तेजी से वापस जंगल में लौट गए, उनके दिलों में डर और गुस्सा दोनों थे। चीता और भालू ने जंगल में वापस आकर बूढ़े बंदर और बाकी जानवरों को सब कुछ बताया जो उन्होंने देखा था। जानवरों में डर और क्रोध फैल गया।
बूढ़ा बंदर (चिंता से): तो इंसान इस सब के पीछे हैं। उन्होंने हमारे जंगल को नुकसान पहुंचाया है और हमारे पानी को चुरा लिया है।
हाथी (गुस्से में): हमें उनसे लड़ना चाहिए! हमें उन्हें अपने जंगल से बाहर निकाल देना चाहिए! हिरण (डर से): लेकिन वो बहुत शक्तिशाली हैं। हम क्या कर सकते हैं?
बूढ़ा बंदर (सोचते हुए): हमें लड़ना होगा, लेकिन ताकत से नहीं, बुद्धि से। हमें एक योजना बनानी होगी, एक ऐसी योजना जो हमें अपने जंगल को बचाने में मदद करे। उल्लू, चीता, भालू और मैं मिलकर एक रणनीति तैयार करेंगे। बाकी सब, शांत रहें और आशा रखें। अभी भी उम्मीद है।
क्या जानवरों का जंगल इंसानो द्वारा नष्ट होने से बचता है?
लेखक – राकेश घुमन्तु राहगीर गोल्डी
होशंगाबाद – ग्राम डेठी गंजाल 8251028291