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200 रुपये तक बढ़ सकते हैं सोयाबीन के भाव: जानें क्यों दिख रही है तेजी की संभावना Soyabean Mandi Rate

Soyabean Mandi Rate: किसान भाइयों और व्यापारी साथियों, इस बार सोयाबीन की फसल को लेकर बहुत उम्मीदें थीं, परन्तु मौजूदा हालात ने किसानों को निराश किया है। घरेलू बाजार में सोयाबीन के भाव लगातार गिरते हुए दिखाई दे रहे हैं, जबकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद्य तेलों के दाम तेज़ी से बढ़ रहे हैं। सरकार ने सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 4892 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है, लेकिन इसके बावजूद बाजार में सोयाबीन के भाव MSP से नीचे चल रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि सोयाबीन के भावों में आखिर 200 रुपये की बढ़ोतरी की संभावना क्यों जताई जा रही है? आइए विस्तार से समझते हैं।

विदेशी बाजारों में खाद्य तेल की महंगाई का असर

विदेशी बाजारों में इस समय खाद्य तेलों, विशेषकर सोया तेल और पाम तेल के दामों में अच्छी खासी बढ़ोतरी हो रही है। अमेरिका, चीन, मलेशिया, और इंडोनेशिया जैसे देशों में सोया और पाम तेल के भाव लगातार बढ़ रहे हैं। इसका सीधा असर भारतीय बाजारों पर भी पड़ता है क्योंकि आयात महंगा होने पर स्वदेशी तेल की मांग बढ़ती है। इससे घरेलू बाजार में भी सोयाबीन तेल की कीमतों में इजाफा देखने को मिल सकता है। यही वजह है कि अनुमान लगाया जा रहा है कि सोयाबीन के भाव भी बढ़ सकते हैं।

मंडियों में भारी आवक के कारण दामों में गिरावट

देश के प्रमुख सोयाबीन उत्पादक राज्यों, जैसे महाराष्ट्र और राजस्थान, से भारी मात्रा में सोयाबीन की आवक मंडियों में हो रही है। लगभग 8-9 लाख बोरियां हर रोज मंडियों में आ रही हैं, लेकिन स्थानीय मिलें और प्रोसेसिंग यूनिट्स फिलहाल ज्यादा खरीदारी में दिलचस्पी नहीं दिखा रही हैं। इस वजह से मंडियों में दाम लगातार दबाव में हैं, और कुछ स्थानों पर भाव MSP से काफी नीचे चल रहे हैं। किसानों को मजबूर होकर अपनी फसल कम कीमत पर बेचनी पड़ रही है ताकि वे आगामी फसल की तैयारी के लिए आवश्यक धन जुटा सकें।

वैश्विक उत्पादन और मौसम की भूमिका

दुनिया में सोयाबीन के सबसे बड़े उत्पादक और निर्यातक ब्राजील में इस बार सोयाबीन की बुवाई में देरी हो रही है। यहां पर मौसम की प्रतिकूलता और सूखे की स्थिति के चलते अब तक केवल 36% क्षेत्र में ही बुवाई हो पाई है। इससे अनुमान लगाया जा रहा है कि इस साल ब्राजील का उत्पादन अपेक्षा से कम हो सकता है, जिसका सीधा असर वैश्विक आपूर्ति पर पड़ेगा। अगर ब्राजील में उत्पादन कम रहता है, तो चीन और भारत जैसे बड़े आयातक देशों को सोयाबीन महंगा खरीदना पड़ेगा। इस स्थिति में भारतीय बाजार में भी सोयाबीन के दामों में तेजी आने की संभावना बढ़ सकती है।

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किसानों के लिए सरकार का समर्थन और MSP का प्रभाव

हालांकि सरकार ने 4892 रुपये प्रति क्विंटल का MSP तय किया है, लेकिन फिलहाल MSP पर खरीदारी में कोई विशेष तेजी नहीं दिख रही है। किसानों का कहना है कि अगर सरकार अधिक सक्रियता से MSP पर खरीद करती, तो बाजार में स्थिरता बनी रहती। किसान अपनी फसल को MSP पर बेचने के लिए उम्मीद लगाए बैठे हैं, परन्तु सरकारी एजेंसियां अभी तक इस दिशा में पर्याप्त कदम नहीं उठा पाई हैं। यदि MSP पर खरीद में तेजी लाई जाती है, तो सोयाबीन के भाव में सुधार आ सकता है और किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य मिल सकता है।

सोयाबीन तेल के दामों में तेजी

एक और महत्वपूर्ण कारण है सोयाबीन तेल की कीमतों में हो रही लगातार वृद्धि। जैसे-जैसे सोयाबीन तेल के भाव बढ़ते जा रहे हैं, इस बात की उम्मीद की जा रही है कि इसका असर सोयाबीन के भाव पर भी दिखेगा। पाम तेल की कीमतें अगर अंतरराष्ट्रीय बाजार में 5000 रिंगिट तक पहुंच जाती हैं, तो इसका प्रभाव भारतीय बाजार में सोयाबीन और सोया तेल के दाम पर भी पड़ेगा। ऐसे में यह मुमकिन है कि आने वाले दिनों में प्लांट डिलीवरी के भाव MSP से ऊपर चले जाएं।

200 रुपये की बढ़ोतरी की उम्मीद

अब सवाल यह है कि आगे सोयाबीन के बाजार में क्या स्थिति बन सकती है। अगर विदेशी बाजार में खाद्य तेलों की महंगाई बरकरार रहती है और ब्राजील में मौसम की प्रतिकूलता बनी रहती है, तो अंतरराष्ट्रीय आपूर्ति में कमी हो सकती है। ऐसे में भारतीय बाजार में सोयाबीन और सोयाबीन तेल की कीमतों में वृद्धि के आसार हैं।

इस स्थिति में अगर सरकार ने MSP पर सक्रिय रूप से खरीद जारी रखी और अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की महंगाई बनी रही, तो भारतीय बाजार में सोयाबीन के भाव में 200 रुपये की तेजी देखी जा सकती है। किसानों के लिए यह जरूरी है कि सरकार उनकी फसल का उचित मूल्य दिलाने के लिए ठोस कदम उठाए और MSP पर खरीद को मजबूत बनाए ताकि उन्हें मजबूरी में अपनी फसल कम दामों पर न बेचनी पड़े।

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