मध्य प्रदेश सरकार का बड़ा फैसला! गौशालाओं को अब ₹40 प्रति गाय, पशुपालन योजना का नाम बदला। जानें नई MP Gaushala Policy और दूध पर बोनस कब से मिलेगा।
मध्य प्रदेश में गौवंश और पशुपालकों के लिए खुशखबरी: गौशालाओं को मिलेगा दोगुना पैसा, दूध पर बोनस जल्द!
नमस्कार दोस्तों! आज हम बात कर रहे हैं मध्य प्रदेश सरकार के एक बड़े और अहम् फैसले के बारे में, जिसका सीधा असर प्रदेश की गौशालाओं, गौवंश और पशुपालन करने वाले किसानों पर पड़ेगा। मंगलवार को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं, जो आने वाले समय में प्रदेश में पशुपालन और कृषि क्षेत्र की तस्वीर बदल सकते हैं।
गौशालाओं के लिए बड़ा ऐलान: अब मिलेंगे ₹40 प्रति गौवंश
सबसे बड़ी खबर गौशालाओं से जुड़ी है। प्रदेश में बेसहारा और निराश्रित गौवंश की देखभाल एक बड़ी चुनौती रही है। इस समस्या से निपटने और गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार ने “मध्यप्रदेश राज्य में स्वावलंबी गौशालाओं की स्थापना की नीति : 2025″ ( MP Gaushala Policy 2025) को हरी झंडी दे दी है। इस नई नीति के तहत, अब प्रदेश की पंजीकृत गौशालाओं को हर एक गाय या गौवंश के रखरखाव, खासकर चारे-पानी के लिए, प्रतिदिन ₹40 की राशि दी जाएगी।
आपको बता दें कि पहले यह राशि सिर्फ ₹20 प्रति गौवंश प्रतिदिन थी। यानी सरकार ने इस मदद को सीधे दोगुना कर दिया है! इससे निश्चित रूप से गौशालाओं को गौवंश की बेहतर देखभाल करने में बड़ी मदद मिलेगी और उनकी आर्थिक स्थिति भी सुधरेगी। यह कदम सरकार की नई MP Gaushala Policy का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसका लक्ष्य गौवंश का संरक्षण और संवर्धन है।
बदला पशुपालन योजना का नाम
कैबिनेट ने एक और महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए “मुख्यमंत्री पशुपालन विकास योजना” का नाम बदलने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी है। अब इस योजना को “डॉ. अम्बेडकर विकास योजना” के नाम से जाना जाएगा। नाम भले ही बदल गया हो, लेकिन योजना का उद्देश्य वही है – प्रदेश में पशुपालन और डेयरी उद्योग से जुड़ी गतिविधियों को बढ़ावा देना, रोजगार के नए अवसर पैदा करना, दूध उत्पादन बढ़ाना और अंततः किसानों की आय में वृद्धि करना।
पशुपालकों के लिए और भी कई सौगातें
सरकार यहीं नहीं रुकी है। पशुपालकों को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए और भी कई कदम उठाए गए हैं:
- बिना ब्याज के क्रेडिट कार्ड: सहकारी समितियों के माध्यम से पशुपालन से जुड़े कामों के लिए किसानों को जीरो प्रतिशत ब्याज दर पर किसान क्रेडिट कार्ड उपलब्ध कराए जाएंगे। इससे उन्हें पशु खरीदने, चारा खरीदने या शेड बनाने जैसे कामों के लिए आसानी से पैसा मिल सकेगा।
- नस्ल सुधार पर जोर: अच्छी नस्ल के पशु ज्यादा दूध देते हैं। इसलिए, नस्ल सुधार के लिए भ्रूण प्रत्यारोपण (Embryo Transfer) जैसे आधुनिक कार्यक्रम चलाए जाएंगे। साथ ही, पशुओं में बांझपन की समस्या दूर करने के लिए विशेष बांझ निवारण शिविर भी लगाए जाएंगे।
- जारी रहेंगी ये योजनाएं: किसानों के बीच लोकप्रिय कार्यक्रम जैसे मुख्यमंत्री डेयरी प्लस कार्यक्रम, चारा उत्पादन कार्यक्रम, प्रदेश की मूल गौवंशीय नस्लों (जैसे मालवी, निमाड़ी) और अन्य भारतीय उन्नत नस्लों की दुधारू गायों के लिए पुरस्कार कार्यक्रम, मुख्यमंत्री दुधारू पशु प्रदाय कार्यक्रम (जिसमें पशु खरीदने में मदद मिलती है) और पशुपालकों तक योजनाओं की जानकारी पहुंचाने के लिए प्रचार-प्रसार कार्यक्रम भी पहले की तरह जारी रहेंगे। इन सभी पहलों का उद्देश्य नई MP Gaushala Policy के साथ मिलकर पशुधन का विकास करना है।
दूध पर बोनस का इंतज़ार जल्द होगा खत्म?
पशुपालकों के लिए एक और बड़ी खुशखबरी जल्द ही मिल सकती है! सरकार पहले ही घोषणा कर चुकी है कि वह दूध उत्पादन को बढ़ावा देने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए दूध पर बोनस देगी। अब खबर आ रही है कि यह बोनस 13 अप्रैल से मिलना शुरू हो सकता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकार सहकारी समितियों के माध्यम से दूध बेचने वाले किसानों को प्रति लीटर दूध पर 5 रुपये का बोनस दे सकती है। अगर ऐसा होता है, तो इससे सरकारी खजाने पर सालाना करीब 189 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भार आएगा, लेकिन यह कदम निश्चित रूप से लाखों पशुपालक किसानों के चेहरे पर मुस्कान लाएगा और उन्हें दूध उत्पादन के लिए और प्रेरित करेगा। यह कदम मुख्यमंत्री जी की उस सोच को भी दर्शाता है जिसमें वे अक्सर दूध को अपनाने और नशे से दूर रहने की बात करते हैं।
सिंचाई परियोजना को भी मिली मंजूरी
पशुपालन के साथ-साथ कैबिनेट ने कृषि क्षेत्र के लिए भी एक अहम फैसला लिया। पार्वती-कालीसिंध-चम्बल लिंक परियोजना के तहत मंदसौर जिले की मल्हारगढ़ (शिवना) दाबयुक्त सूक्ष्म सिंचाई परियोजना को भी प्रशासनिक मंजूरी मिल गई है। इस परियोजना पर 2932 करोड़ 30 लाख रुपये खर्च होंगे और इससे 60 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होगी। इसका सीधा फायदा मंदसौर जिले की मल्हारगढ़ तहसील के 32 गांवों और मंदसौर तहसील के 115 गांवों के किसानों को मिलेगा, जिससे उनकी फसलें लहलहाएंगी।
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