ये हरदा की पहली दीवाली है !
हे ईश्वर ! हरदा और उसके हृदय की रक्षा करना !!
कितने निष्ठुर हो गए हैं हम ! अभी साढ़े 8 माह पहले
की तो बात थी। 6 फरवरी 2024 को देश भर में जो बारूदी ब्लास्ट की खबर गूंजी । 50 किलोमीटर तक धरती कांपी। ये भयानक मंज़र सबने देखा। लाइव भी, वायरल वीडियो के माध्यम से भी। 13 लोग भयानक ब्लास्ट की चपेट में राख बन गए । सैकड़ों घायल हुए। सैकड़ों बेघर हुए। याद आया वो छोटा बच्चा। जो व्हील चेयर पर अपने पिता को बचाने में घायल होकर दुनिया को अलविदा कह गया।
कितने निष्ठुर हो गए हैं हम। सिर्फ साढ़े आठ माह पहले घटी घटना को ब्लास्ट, आग, एम्बुलेंस, ज़माने भर का भीड़ भड़क्का ,मीडिया, मुख्यमंत्री का दौरा सब कुछ भूल भुला गए।
ये हादसा याद है सिर्फ उनको जिन्होंने अपनो को खोया, घर खोया, घायल हुए और अभी भी पराए बंधन में निर्वासित हो अपने नष्ट हुए घर की यादों को समेटे नए घर के लिए मुआवजा मिलने की आस में समय काट रहे हैं।
कितने निष्ठुर हो गए हैं हम। अब दीवाली की तैयारियों में जुट गए हैं। वे जो लोग ब्लास्ट के भयावह मंजर के समय अपने मांगलिक कार्यक्रमों को टाल रहे थे, चुपचाप कार्यक्रम करने की कसमें खा रहे थे, पटाखे आतिशबाजी न चलाने की कसमें खा रहे थे। कुछ याद आया। नहीं। छोड़िए।
गंभीर बीमारी के धरातल पर ब्लास्ट के मुख्य आरोपी को किडनी प्रत्यारोपण हेतु 6 माह की जमानत ।स्थानीय प्रशासन द्वारा फटाका बाजार की मंजूरी। ज़माने भर की सिफारिश के बीच एक अन्य बड़े व्यापारी को थोक फटाका बेचने की अनुमति। थोक व्यापारी का रुतबा रसूख वालों को वजनदार नज़राने देने और उसपर थू थू होने की चर्चा हरदा भर में चल रही है। क्या अभी भी हरदा बारूद के ढेर पर है। कहाँ से निकलेगा ये माल, कहाँ छिपा हुआ रखा है । कोई है हिसाब किताब। न पूछने वाले को चिंता न बताने वाले को फिक्र।
जिन्होंने अपने कलेजे के टुकडे छिनने का मंजर देखा हो वे क्या जाने बारूद बेचने की मंजूरी की चालबाजियां। उन्हें क्या वास्ता ऐसी चर्चाओं से।
यदि इस बार हरदा में फटाकों आतिशबाजियों के बीच दीवाली मनती है तो कहना गलत न होगा कि शहर ने अपनी संवेदनशीलता को बाजार में लाकर रख छोड़ा है। किसी को दूसरे की तकलीफ से अब कोई लेना देना नहीं बचा। यह वही शहर है जिसे गांधीजी ने हृदय नगरी कहा था। कोई सोच सकता है कि उसी नर्मदिल हरदा के हृदय में इतने क्लॉट आ सकते हैं ।
क्या हरदा शहर का हृदय सचमुच मर चुका है ! या बस मरने ही वाला है । या अभी भी कोई उम्मीद की किरण बाकी है। जिससे मानवता और संवेदशीलता के जीवित होने की आस बनी रहे।
हरदावासियो! याद रखना ये हरदा की पहली दीवाली है !
हे ईश्वर ! हरदा और उसके हृदय की रक्षा करना !!
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