सीहोर ब्यूरो आमीन मंसूरी
भैरूदां तहसील क्षेत्र सागौन तस्करी का नया अड्डा बन गया है, जहां जंगलों से बहुमूल्य लकड़ी को खुलेआम काटा, चिरा और सप्लाई किया जा रहा है। इस पूरे खेल में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जिन अधिकारियों की जिम्मेदारी है इन जंगलों की रक्षा करना – वही आज वन माफिया के साथ साठगाठ करते नजर आ रहे हैं। सूचना के बाद भी 2 घंटे 4 मिनट तक नहीं पहुंचे अफसर, माफिया ने चिराई जारी रखी!….सोमवार रात 9:37 बजे लाड़कुई रेंज के रेंजर प्रकाश चंद उइके को सूचना दी गई कि सोटिया गांव से लगे एक गोडाउन में सागौन की अवैध चिराई चल रही है। यह सूचना मिलते ही रेंजर को हरकत में आना था – पर नहीं आए! उल्टा, 10:04बजे ही गोडाउन से एक पिकअप वाहन निकल गया, और वो भी कैमरे में कैद हो गया। 10:56 वजे पर जब यह मामला CCF राकेश खरे तक पहुंचा, उन्होंने DFO को सूचना देने की बात कही – लेकिन कार्रवाई? शून्य! 11:40 बजे तक गोडाउन में माफिया बेखौफ सागौन सिल्लियों की कटाई करता रहा।…सूचना लीक की साजिश या सेटिंग? कौन है अंदर का मुखबिर?
इतनी तेजी से माफिया को कैसे लग गई भनक? क्या सूचना देने वाले ही माफिया से मिले हुए थे या विभाग के भीतर ही कोई है जो इन तस्करों को बचा रहा है? जो भी हो, साफ है कि रेंजर से लेकर CCF तक को पता था फिर भी कार्रवाई नहीं हुई।
वीडियो वायरल – खेत में जलाई गईं लाखों की सागौन सिल्लियाँ, पर कोई कार्रवाई नही।
नर्मदापुरम जिले में जब कार्रवाई तेज हुई, तो डर के मारे सीहोर के माफिया ने गोदाम के बगल वाले खेत में सागोंन कि लट्ठे, सिल्लिया, चिरान मे पेट्रोल डालकर जला दीं – ये वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है, लेकिन अब तक किसी अधिकारी ने उस पर जांच पड़ताल कर कार्रवाई करना उचित नही समझा।
सूत्रों का दावा अफसर-माफिया गठजोड़, लेन-देन की सीधी डील
स्थानीय सूत्रों का कहना है कि वन अमले और माफिया के बीच मोटी रकम की सेटिंग चल रही है। एक सूत्र ने तो यहां तक कहा कि रेंजर उइके एवं उनके नाकेदार को हाल ही में भारी रकम दी गई है। अगर CDR और कॉल डिटेल्स निकलवा ली जाएं, तो “ईमानदारी” की परत के नीचे दबे काले चेहरे सामने आ सकते हैं।लेकिन हम सूत्रों कि इस बात कि पुष्टी नही करते है विभागीय अफसरो को निष्पक्ष जांच कराना चाहिए।..अब सवाल सरकार से: क्या वाकई जंगल बचाना चाहते हैं या माफिया के आगे घुटने टेक चुके हैं?…अगर वाकई नीयत साफ है, तो तत्काल भ्रष्ट अधिकारियो को हटाकर वन माफियाओं के गोदामों पर लगातार छापा मार कार्रवाई करना चाहिए।…अफसरों की कॉल डिटेल्स और बैंक ट्रांजैक्शन की जांच हो।…निष्पक्ष SIT से जांच करवाई जाए।…जिम्मेदार अफसरों को तत्काल निलंबित कर कठोर कार्रवाई हो।…अब जनता सवाल पूछ रही है: जब जंगलों के रक्षक ही भक्षक बन जाएं, तो भरोसा किस पर किया जाए?