Big News Harda: नवजात की गला काट हत्या मामले में हाईकोर्ट ने पुलिस की कार्रवाई पर जताई नाराजगी ! – डॉ मनीष शर्मा, भगवती नर्सिंग होम, व सम्बंधित डॉक्टर्स को क्यों न बनाया आरोपी !
नवजात की गर्दन काट कर हत्या मामले माननीय हाईकोर्ट ने हरदा एसपी से मांगा हलफनामा, डॉक्टर मनीष शर्मा और भगवती नर्सिंग होम व सम्बंधित डॉक्टर्स को क्यों नहीं बनाया आरोपी, पुलिस कार्रवाई पर जताई नाराज़गी, cmho से भी मांगा जवाब –
भगवती नर्सिंग होम में वर्ष 2020 में हुए बहुचर्चित नवजात की गर्दन काटकर हत्या करने के मामले में दिनांक 30/10/2023 को माननीय हाईकोर्ट के समक्ष में हुई सुनवाई में माननीय हाईकोर्ट ने पुलिस की कार्यवाही पर नाराजी जाहिर करते हुए यह कहा है कि डॉ मनीष शर्मा भगवती नर्सिंग होम एवं संबंधित डॉक्टरों को क्यों नहीं आरोपी बनाया गया है एसपी हरदा को इस संबंध में हलफनामा दायर करने के आदेश दिये हैं |
हरदा : शहर के भगवती नर्सिंग होम में वर्ष 2020 में एक बलात्कार पीड़िता नाबालिक के गर्भपात कराने के उद्देशय से उत्पन्न हुई नवजात की बेरहमी के साथ हत्या गर्दन काटकर कर दी गई थी। मामले में जानकारी देते हुए अधिवक्ता अनिल जाट ने बताया कि दिनांक 30/10/2023 को माननीय जबलपुर हाईकोर्ट के सामने सुनवाई हुई थी । इस सुनवाई में पीड़ित परिवार की ओर से अधिवक्ता श्री अंकित सक्सेना के द्वारा पैरवी की गई थी। कल की सुनवाई के दौरान माननीय मप्र उच्च न्यायालय न्यायमूर्ति के द्वारा पुलिस की कार्यवाही पर गहरी नाराजगी व्यक्त करते हुए सर्वप्रथम यह कहा है, कि डॉक्टर मनीष शर्मा एवं संबंधित अस्पताल एवं संबंधित अन्य डॉक्टरों को आरोपी क्यों नहीं बनाया गया इस संबंध में पुलिस अधीक्षक हरदा अपना जबाव हलफनामे के साथ पेश करें।
साथ ही कल की सुनवाई में माननीय उच्च न्यायालय के द्वारा दिनांक 22/05/2020 को जिस मेडिकल बोर्ड का गठन डॉक्टर मनीष शर्मा को आरोपी नहीं बनाये जाने के संबंध में किया गया था उस मेडिकल बोर्ड पर भी गहरी नाराजगी व्यक्त की है साथ ही पीड़ित पक्षकार को यह कहा है, कि वह मेडिकल बोर्ड के जो सदस्य डॉ शिरिष रघुवंशी, डॉ राजेश सिसोदिया, डॉ गोविंद कुशवाह थे उन्हें भी इस याचिका में पक्षकार बनाये के लिये तीन दिन में कार्यवाही करने के लिये कहा है।
अधिवक्ता अनिल जाट ने जानकारी देते हुए बताया कि माननीय उच्च न्यायालय द्वारा कल की सुनवाई के दौरान सीबीआई के काउंसिल को एमीकस क्यूरी बनाने के लिये कहा है एवं माननीय न्यायमूर्ति द्वारा सीबीआई काउंसिल से कल की सुनवाई के दौरान यह भी पूछा कि क्या माईनर अबॉर्शन हो सकता है? इस पर सीबीआई कांउसिल के द्वारा कहा गया कि माईनर का ऑबर्सन नहीं हो सकता है यह पीसी पीएनडीटी एक्ट का उल्लंघन है।
जानकारी देते हुए अधिवक्ता अनिल जाट ने यह भी बताया कि ही कल की सुनवाई के दौरान माननीय न्याय मूर्ति के द्वारा इस प्रकरण की सुनवाई के दौरान सुनवाई के अंत में पुनः एक बार पुलिस अधीक्षक हरदा को डॉक्टरों को आरोपी नहीं बनाये जाने के संबंध में व्यक्तिगत हलफनामे पर जबाव देने के लिये कहा है एवं सीएमएचओ हरदा को भी हलफनामे पर इस बात का जबाव देना है किइस प्रकरण में किस प्रकार से पीसी एंड पीएनडीटी एक्ट का उल्लंघन नहीं हुआ है एवं संबंधित डॉक्टरों पर कार्यवाही क्यों नहीं हुई हैं। अधिवक्ता अनिल जाट के द्वारा यह भी बताया गया है, कि इस प्रकरण में अगली सुनवाई दिनांक 30/11/2023 को होना हैं एवं माननीय न्यायमूर्ति के द्वारा इस प्रकरण को दिनांक 30/11/ 23 को टॉप ऑफ द लिस्ट के रूप में नियत किया हैं।
इस प्रकरण को यहां तक पहुंचाने में जयस प्रदेश अध्यक्ष रामदेव काकोडिया कि महत्वपूर्ण भूमिका रही हैं। रामदेव काकोडिया के द्वारा ही इस प्रकरण की पीडिता को न्याय दिलाने के लिये अधिवक्ता अनिल जाट के पास लाया गया था । अधिवक्ता अनिल जाट के द्वारा इस प्रकरण के संबंध में हरदा न्यायलय में पैरवी की गई तथा माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष इस प्रकरण की पैरवी अधिवक्ता अंकित सक्सेना के द्वारा की जा रही हैं।