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शास्त्र एक तरह के पकवान होते हैं हमें इसे खाकर आंनद लेना चाहिए – विभव सागर महाराज 

सुनील पटल्या बेड़िया। दिगंबर जैन समाज मैं समाधि मरण के रचयिता आचार्य विभव सागर महाराज ने अपने मंगलमय अमृतवाणी से सभी को लाभान्वित किया। उन्होंने अपने प्रवचन में कहा सबसे पहले शास्त्र को पढ़ना चाहिए वह भी जिनेंद्र देव द्वारा कहा गया। जब हम सम्यक ज्ञान का शास्त्र पढ़ते हैं तो वाचना जगाती है और वाचना आत्मा में सम्यक ज्ञान का प्रवेश कराती है। शास्त्र एक तरह के पकवान होते हैं अर्थात (ज्ञान) हमें इसे खाना चाहिए ओर इस का आनंद लेना चाहिए। अर्थात (उपदेश) देना चाहिए शास्त्र अमृत रस होता है उसे पीना और पिलाना चाहिए। बेड़िया जैन समाज अध्यक्ष महेंद्र जैन व सचिव सावन जैन बताया की पंचम काल में भी साधुओं का समागम प्राप्त हो रहा है बहुत ही पुण्य की बात है। इसमें पदाधिकारी राकेश जैन, लोकेंद्र शाह, धर्मेंद्र घाटे, दीपक जटाले साथ ही समाज के देवेंद्र जैन, कमलेश जैन, राजेंद्र पाठक, शैलेंद्र घाटे, मगनलाल जैन, सरिता घाटे, शालिनी जटाले, अलका घाटे सहित महिलाएं भी उपस्थित थी।