Agniveer SC Hearing: सेना में भर्ती की अग्निवीर योजना के खिलाफ दायर याचिकाओं पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि केंद्र सरकार की इस भर्ती योजना के खिलाफ दिल्ली, केरल, पटना, पंजाब और उत्तराखंड हाई कोर्ट में याचिकाएं दर्ज हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बेहतर होगा कि याचिकाओं पर पहले किसी एक हाई कोर्ट में सुनवाई हो। हाई कोर्ट का रुख सामने आने के बाद सर्वोच्च अदालत के लिए आगे सुनवाई करना बेहतर होगा। एक ही मामले की विभिन्न हाई कोर्ट में सुनवाई नहीं हो सकती है, इसलिए दिल्ली हाई कोर्ट में सभी याचिकाएं ट्रांसफर की जाए और यहां सुनवाई हो।
बता दें, अग्निपथ भर्ती वर्तमान में भारतीय सेना, भारतीय वायु सेना (IAF) और भारतीय नौसेना के लिए चल रही है। केंद्र सरकार द्वारा इसका ऐलान किए जाने के बाद भारी विरोध हुआ था। देशभर में हिंसक प्रदर्शन हुए थे। इसके बाद अग्निपथ भर्ती योजना को चुनौती देने वाली अदालत में कुछ याचिकाएं दायर की गई थी। पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट याचिकाओं पर सुनवाई के लिए सहमत हो गया था। इस बीच, अग्निवीर योजना भर्ती में जाति को लेकर नया विवाद शुरू हो गया है।
संसद में भी यह मुद्दा उठा। आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने कहा, मोदी सरकार का असली चेहरा देश के सामने आ चुका है। क्या मोदी जी दलितों/पिछड़ों/आदिवासियों को सेना भर्ती के क़ाबिल नही मानते? भारत के इतिहास में पहली बार “सेना भर्ती “ में जाति पूछी जा रही है। मोदी जी आपको “अग्निवीर” बनाना है या “जातिवीर”।
बिहार में आरोप लगाया गया है कि अग्निवीर योजना के तहत जाति पूछकर भर्ती की जा रही है। जदयू नेता उपेंद्र कुशवाह ने ट्वीट किया, ‘माननीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह जी, सेना की बहाली में जाति प्रमाण पत्र की क्या जरूरत है, जब इसमें आरक्षण का कोई प्रावधान ही नहीं है। संबंधित विभाग के अधिकारियों को स्पष्टीकरण देना चाहिए।’
भाजपा की सफाई
भाजापा की ओर से आईटी सेल के हेड अमित मालवीय ने जवाब दिया। ट्वीट किया, सेना ने 2013 में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दायर एक हलफनामे में स्पष्ट किया है कि वह जाति, क्षेत्र और धर्म के आधार पर भर्ती नहीं करती है। हालांकि इसने प्रशासनिक सुविधा और परिचालन आवश्यकताओं के लिए एक क्षेत्र से आने वाले लोगों के समूह को एक रेजिमेंट में उचित ठहराया …हर चीज के लिए पीएम मोदी को दोष देने की सनक संजय सिंह पर हावी है। सेना की रेजीमेंट प्रणाली अंग्रेजों के जमाने से ही अस्तित्व में है। स्वतंत्रता के बाद इसे 1949 में एक विशेष सेना आदेश के माध्यम से औपचारिक रूप दिया गया था। मोदी सरकार ने कुछ नहीं बदला।