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अयोध्या में 6 करोड़ साल पुरानी शिलाओ से बनेगी राम सीता की मूर्ति, नेपाल की शालीग्रामी नदी से निकालकर भारत ला रहे

 भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर अयोध्या राज जन्मभूमि पर बन रहा हैं। मंदिर में स्थापित होने वाली राम सीता की मूर्ति का निर्माण नेपाल की नदी से निकाली गई शिलाओ से होगा।इन्हे सड़क मार्ग से नेपाल से अयोध्या लाया जा रहा है। राममंदिर निर्माण बहुत तेजी से चल रहा है।गृहमंत्री अमित शाह ने एक जनवरी 2024 तक मंदिर बनने की बात भी कही थी।

       ” 6 करोड़ साल पुरानी हैं दोनों शिलाएं,नेपाल से शिलाएं लाई जा रही हैं”


मकड़ाई समाचार अयोध्या। अयोध्या के भव्य मंदिर में स्थापित होने वाली भगवान राम और माता सीता की मूर्ति के लिए नेपाल से शिलाएं लाई जा रही हैं। नेपाल की एक नदी से निकाली गई इन दो शिलाओं को बेहद पवित्र माना जा रहा है। अयोध्या के भव्य मंदिर में स्थापित होने वाली भगवान राम और माता सीता की मूर्ति के लिए नेपाल से शिलाएं लाई जा रही हैं। नेपाल की एक नदी से निकाली गई इन दो शिलाओं को बेहद पवित्र माना जा रहा है।नेपाल की नदी से निकाली गई दोनों विशाल शालिग्राम शिलाएं 6 करोड़ साल पुरानी हैं।  एक शिला का वजन 26 टन जबकि दूसरे का 14 टन है। यानी दोनों शिलाओं का वजन 40 टन है।

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 नेपाल की नदी से निकाले जाने के बाद ट्रक पर लादकर दो शिलाओं को लाया जा रहा है। इन दोनों शिलाओं के दो फरवरी तक अयोध्या में प्रवेश की उम्मीद जताई जा रही है। इधर दोनों नेपाल से अयोध्या लाई जा रही शिलाओं के दर्शन के लिए सड़कों पर बड़ी संख्या में लोग जुट रहे हैं। लोग शिलाओं को प्रणाम कर रहे हैं।जिससे बनी भगवान राम और सीता की मूर्ति अयोध्या के भव्य मंदिर में स्थापित होगी।

नेपाल भगवान राम का ससुराल
सीता के पिता राजा जनक नेपाल के राजा हुआ करते थे। अब अयोध्या में स्थापित होने वाली राम-सीता की मूर्ति के लिए पवित्र शिलाएं नेपाल यानी की भगवान राम के ससुराल से आ रही हैं। इसके अलावा नेपाल के जनकपुर की जानकी मंदिर से जुड़े लोगों ने अयोध्या में स्थापित होने वाले भगवान राम के लिए धनुष बनाकर देने की पेशकश भी की है।

शालिग्रामी नदी से निकाली पवित्र शिलाएं

भगवान राम की मूर्ति के लिए निकाली गई शिलाएं नेपाल की पवित्र नदी शालिग्रामी से निकाली गई है। जो शालिग्राम (भगवान विष्णु की पत्थर वाली आकृति) के लिए विख्यात है। शालिग्रामी नदी से बीते 26 जनवरी को दो पवित्र शिलाएं निकाली गई। जिसके बाद उन्हें सड़क मार्ग से अयोध्या के लिए भेजा जा रहा है।

शालिग्राम भगवान विष्णु का प्रतीक

शालिग्राम को सनातन धर्म में भगवान विष्णु के प्रतीक रूप पूजा जाता है। नेपाल की शालिग्रामी नदी के शालिग्राम बेस्ट क्वालिटी के माने जाते हैं। शालिग्राम वाली शिला किसी भी संगमरमर से अधिक मजबूत होती है। भारत में भी शालिग्राम नर्मदा नदी से भी निकलते हैं, लेकिन नेपाली शालिग्राम की गुणवत्ता बहुत ही अच्छी है।शालिग्रामी नदी से शिलाओं के निकाले जाने के बाद उनका नदी किनारे पूरे विधि विधान के साथ पूजा किया गया। जिसमें उस प्रांत के गवर्नर, मुख्यमंत्री, जानकी मंदिर के पुजारी और अयोध्या से नेपाल पहुंचे वीएचपी के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। शालिग्राम पत्थर, सिर्फ शालिग्रामी नदी में मिलता है। यह नदी दामोदर कुंड से निकलकर बिहार के सोनपुर में गंगा नदी में मिल जाती है।नेपाल के जनकपुर में इन दोनों पवित्र शिलाओं की पूजा में दो दिवसीय अनुष्ठान होगा। इसके बाद, शिलाएं बिहार के मधुबनी के सहारघाट, बेनीपट्‌टी होते हुए दरभंगा, मुजफ्फरपुर पहुंचेगी। फिर 31 जनवरी को गोपालगंज होकर UP में प्रवेश करेगी। बिहार में 51 जगहों पर शिला का पूजन होगा।