जम्मू : एक पिता की जिन्दगी का सबसे बड़ा बोझ होता है उसके बेटे का शव। यह बोझ 30 वर्षीय मजदूर मोहम्मद सुलतान के लिए काफी भरा पड़ा। अपने 12 वर्षीय बेटे मनान की डेड बॉडी को कई आंखों से छिपाने के लिए कंबल में लपेटे गले से लगाए घंटों इस उम्मीद पर बैठा रहा कि कोई उसे उसके घर पहुंचा दे। बेबस बाप ने बिना किसी को बच्चे की मौत के बारे में बताए प्राइवेट बस से सफर किया और फिर आठ घंटों बाद किश्तवाड़ पहुंचा। जैसे ही बच्चे का शव किश्तवाड़ पहुंचा तो लोगों ने सडक़ पर उतरकर प्रदर्शन किया।
लोगों का आरोप है कि बच्चे के शव को उसके घर ले जाने के लिए एंबुलेंस नहीं दी गई। वहीं किश्तवाड़ के डीसी अंग्रेज सिंह राणा का कहना है कि यह प्रदर्शन राजनीति के तहत करवाया गया है। एंबुलेंस मौजूद नहीं थी और जम्मू गई हुई थी। वापसी में ट्रेफिक जाम में फंस गई। जो प्रदर्शन कर रहे हैं वे मेरे खिलाफ हैं और मुद्दे का राजनीतिकरण कर रहे हैं।परिवार की दुखद दास्तां
परिवार का कहना है कि वो रात कटने नहीं आ रही थी। एक तो बच्चे के मरने का दुख और उस पर उसे लेकर यूं घंटों रात काटने का। कोई शव को गाड़ी में लेकर वापस छोडऩे को तैयार नहीं था। हमने छह घंटे जम्मू बस अड्डे पर बिताए। हमने तय किया कि हम किसी को नहीं बताएंगे कि बच्चा मर गया है और ऐसे हमने बस का सफर किया।
किश्तवाड़ से जम्मू रेफर किया गया था बच्चा
सुलतान और हुसैन, बच्चे के दो कजन हैं। उन्होंने बताय कि मनान को हालत खराब होने के बाद किश्तवाड़ से जम्मू के सुपर स्पेशलिटी रेफर किया गया था। उसकी जम्मू में मौत हो गई। हमे 230 किलोमीटर का सफर तय करना था। बिना किसी को बताए कि मनान की मौत हो गई है क्योंकि एंबुलेंस मिली नहीं और कोई गाड़ी वाला तैयार नहीं था।