आस्था या अंधविश्वास! जंगल में प्राकृतिक स्रोत के जल से बीमारियां ठीक करने का दावा, इस सिद्ध बाबा के पास बड़ी संख्या में पहुंचते हैं ग्रामीण
मकड़ाई समाचार दमोह। एक कहावत है… चमत्कार को नमस्कार। कुछ ऐसा ही मामला आया है दमोह जिले के हटा ब्लॉक के रजपुरा से करीब 5 किमी दूर जंगल मे तुषारी का है। यहां रहने वाले राजा सिंह मरावी प्राकृतिक स्रोत के जल से बीमारियां ठीक होने का दावा करते हैं। वो भी गम्भीर से गम्भीर रोगों का इलाज।
आस्था में डूबकर घने निर्जन जंगलों के बीच पंहुचकर पहाड़ों से निकलने वाली जलधारा का पानी सिद्ध बाबा का वरदान समझकर पीते हैं। साथ ही इस पानी को चमत्कार बताकर अपनी सभी परेशानियों से मुक्ति मिलने का दावा करते हैं। लोगों का विश्वास है कि अस्पतालों में आराम नहीं मिलने के बाद जंगल मे सिद्ध बाबा के दरबार हाजिरी लगाकर जल पीने से मिल जाती है,दुःखों से मुक्ति!
दरअसल जंगल में तुषारी नामक स्थान पर इन दिनों कुछ इसी तरह का मामला सामने आया है। यहां बड़ी संख्या में लोगों का हुजूम जंगल मे पंहुचकर इस दुर्गम स्थल पर पहाड़ी के नीचे चट्टान से निकलने वाले प्राकृतिक स्रोत की जलधारा से पानी लेकर पीते और उसी जलधारा प्रवाह से निर्मित कुंड में स्नान करके सिद्ध बाबा के दरवार में पूजा अर्चना करते हैं।
दूर- दूर से लोग आते हैं जल पीने
सप्ताह के हर सोमवार को भर दूर- दूर से लोग बाबा के चमत्कार को नमस्कार करने आते हैं। आस्था और मान्यता के चलते लोग यंहा कुंड में स्नान करने के बाद जलधारा का जल ग्रहण करते और सिद्धबाबा की पूजा करके मन्नत मांगते हैं। यहां पहुंचने वाले ग्रामीणों की माने तो उनका कहना है कि तुषारी के इस सिद्ध स्थल का जल पीने से उनकी सभी समस्याएं दूर हो जाती है। वह अपनी इच्छानुसार दो,तीन या चार सोमवार को यहां पहुंचकर सिद्धबाबा की पूजा करते हैं।
दुकानें भी सजने लगी
रजपुरा के जंगल मे लगने वाले इस आस्था के दरबार में आसपास के दर्जनों गांव से लोग पहुंचने लगे हैं। स्थानीय दुकानदारों द्वारा यंहा अपनी दुकानें भी सजाई जाने लगी है। सोमवार के दिन यंहा का नजारा किसी प्राचीन धार्मिक स्थल की तरह ही दिखाई देता है।अब देखना यह होगा कि अंधविश्वास को बढ़ावा देने वाले इस प्रकार के कार्यों को ग्रामीण कब तक सही मानते और जंगल मे स्थलों पर ऐसी भीड़ कब तक आती रहेगी।