मकड़ाई समाचार ओंकारेश्वर। देवशयनी एकादशी पर रविवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने ओंकारेश्वर और खेड़ीघाट-मोरटक्का में नर्मदा के घाटों पर स्नान किया। इस मौके पर भगवान ओंकारेश्वर मंदिर में भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शनार्थ पहुंचे। इससे मंदिर में दर्शन के लिए लंबी कतार रही। महिलाओं ने परंपरा अनुसार एकादशी पर बत्तियां प्रज्वलित कर भगवान शिव का पूजन किया। यह सिलसिला तेरस तक चलेगा। एकादशी पर निमाड़-मालवा अंचल की महिलाओं ने भगवान ओंकारेश्वर-ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग दर्शन कर ओंकार पर्वत की परिक्रमा की गई। एकादशी पर उपवास रख मां नर्मदा व भगवान ओकारेश्वर से अच्छी बरसात तथा परिवार की खुशहाली की कामना की।
नर्मदा स्नान करने के लिए महिलाएं शनिवार शाम से ही पहुंच गई थी। ओंकारेश्वर की धर्मशालाएं, खेड़ीघाट में नर्मदा किनारे तथा मोरटक्का रेलवे स्टेशन पर रात्रि जागरण कर भगवान राधा कृष्ण के भजनों पर जमकर झूमी। रविवार को प्रातकाल नर्मदा स्नान कर पूजा-अर्चना की। भगवान ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन उपरांत बड़ी संख्या में महिलाओं ने ओंकार पर्वत की परिक्रमा की। आषाढ़ माह की एकादशी को देवशयनी ग्यारस के रूप में माना जाता है। इस दिन भगवान शयन करने चले जाने की मान्यता के चलते इस पर्व को इस पर्व को निमाड़ की महिलाएं आस्था से मनाती है। रात्रि जागरण के लिए विभिन्न घाटों पर डेरा डाल कर भजन नृत्य करने वाली महिलाओं को रिमझिम बारिश और अव्यवस्थाओं का भी सामना करना पड़ा।
देवशयनी एकादशी के लिए महिलाएं पूरे वर्ष भर इंतजार करती हैं। दशमी को पूरी रात्रि जागरण कर भगवान भोलेनाथ व श्रीकृष्ण-राधा के भजनों पर नृत्य कर सुबह नर्मदा स्नान कर वापस अपने घर को लौटती हैं। शास्त्रों के अनुसार चार माह के लिए भगवान विश्राम के लिए चले जाते हैं। इस दौरान किसी भी प्रकार के धार्मिक आयोजन, विवाह व मांगलिक कार्य नहीं होते हैं। संत, महात्मा, साधु, संन्यासी अपने-अपने आश्रमों में चतुर्मास के लिए वास करते हैं। यह समय आत्मचिंतन, मनन और ज्ञानार्जन का माना जाता है।