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कर्मचारियों की पदोन्नति बनी कमलनाथ सरकार के लिए चुनौती, ये है वजह

भोपाल: शिवराज सरकार को परेशान करने वाला आरक्षण का मुद्दा अब नई सरकार में मुख्यमंत्री कमलनाथ के लिए सिरदर्द बन गया है। पिछली सरकार ने भले ही चुनाव के समय सेवानिवृत्ति आयु 62 साल करके अपना पीछा छुड़ा अधिकारियों और कर्मचारियों को साध लिया हो। लेकिन अब ये नई सरकार के सामने बड़ी चुनौती बना हुआ है। सरकार बदलने से कर्मचारियों-अधिकारियों की उम्मीदें फिर बंध गई है और वे अब सरकार से इस मसले की उम्मीद लगाए बैठै है। हालांकि सरकार ने कर्मचारियों-अधिकारियों को चुनाव के समय से ही भरोसा दिलाया है कि वे उनके साथ है और पदोन्नति शुरू करने के लिए हरसंभव कोशिश भी करेगी। लेकिन कैसे यह तो अब सरकार की भी समझ से परे है।

कांग्रेस के सामने चुनौती

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दरअसल, पदोन्नति का मामला अभी सुप्रीम कोर्ट मे चल रहा है। प्रदेश में पदोन्नति पर रोक लगे मार्च में तीन साल पूरे हो जाएंगे। बीते 34 माह में करीब 55 हजार अधिकारी-कर्मचारी सेवानिवृत्त हो गए हैं। उनमें से 36 हजार को इसी अवधि में पदोन्नति मिलनी थी, लेकिन समाधान न निकलने के चलते अब तक नहीं मिल सकी। जिसको लेकर कर्मचारियों-अधिकारियों में आक्रोश है। भले ही पिछली सरकार ने रिटायरमेंट की आयु-सीमा बढ़ाकर अपना पल्ला झाड़ लिया हो, लेकिन अब कांग्रेस के सामने ये चुनौती बन कर खड़ी हो गई है, क्योंकि चुनाव के वक्त कांग्रेस ने कर्मचारियों और अधिकारियों को भरोसा दिलाया था कि वे उनके साथ है और इसका उन्हें पदोन्नति का लाभ जरुर देंगें।

अब चुंकी प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है और मुख्यमंत्री कमलनाथ को जिम्मेदारी संभाले एक महीना भी पूरा हो गया है।लेकिन अब तक कर्मचारियों की पदोन्न्ति पर सरकार का नजरिया स्पष्ट नहीं हुआ है। इससे कर्मचारियों में नाराजगी है। वे विधि मंत्री और स्थानीय विधायक पीसी शर्मा से मिलकर पदोन्नति शुरू कराने का अनुरोध कर चुके हैं।लेकिन अब तक उन्हें कोई ठोस आश्वसन नही मिला है, जिसके चलते कांग्रेस सरकार के खिलाफ भी उनके स्वर मुखर होने लगे हैं।