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कांग्रेस-के कारण पिछड़ा वर्ग आरक्षण से वंचित कांग्रेस नहीं चाहती कि स्थानीय चुनाव हो- कृषि मंत्री कमल पटेल।

मकड़ाई समाचार हरदा।

नगरी निकाय और पंचायत चुनाव बिना ओबीसी आरक्षण करने के संबंध में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर मध्य प्रदेश सरकार पारित आदेश में संशोधन का आवेदन दायर करके  अदालत से आग्रह करेगी कि मध्य प्रदेश में ओबीसी आरक्षण के साथ ही पंचायत एवं स्थानीय निकाय चुनाव संपन्न हो।

बिना ओबीसी आरक्षण के नगरीय निकाय पंचायत चुनाव कराए जाने की वर्तमान स्थिति कांग्रेस के कारण निर्मित हुई मध्यप्रदेश में तो 27% ओबीसी आरक्षण के साथ चुनाव प्रक्रिया चल रही थी एवं सरकार द्वारा आरक्षण सूची तैयार कर लिए गए थे।

किंतु कांग्रेश इसके  विरुद्ध हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट गई जिससे होने वाले चुनाव प्रभावित हुए एवं व्यवधान उत्पन्न हुआ।

पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कमल पटेल ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि एक भी मुख्यमंत्री या प्रदेश अध्यक्ष कांग्रेस ने ओबीसी वर्ग का  नहीं दिया जबकि भाजपा ने मध्य प्रदेश में लगातार तीन मुख्यमंत्री ओबीसी वर्ग से दिए।

मध्य प्रदेश सरकार ने आयोग बनाकर 600 पेज की रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत की उसमें प्रदेश में ओबीसी वर्ग की आर्थिक सामाजिक एवं राजनीतिक परिस्थितियों के साथ  जानकारी प्रस्तुत की ।

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आयोग ने स्पष्ट कर दिया कि त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव तथा समस्त नगरीय निकाय चुनाव के सभी हिस्सों में अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं को कम से कम 35% स्थान आरक्षित होना चाहिए वह कमलनाथ सरकार थी जिसने विधानसभा में 8 जुलाई 2019 को मध्यप्रदेश लोकसेवा आरक्षण संशोधन विधेयक मे भ्रामकबआंकड़ा प्रस्तुत किया था

अन्य पिछड़ा वर्ग की मध्य प्रदेश में कुल आबादी 27% है यह कांग्रेसी विरोधी चेहरा है ।

कमलनाथ सरकार द्वारा त्रुटि पूर्ण तरीके से किए गए परिसीमन करते हुए नवीन पंचायतें बनाई गई ओर कई पंचायतों को समाप्त कर दिया गया उनकी सीमाओं में बदलाव कर दिया गया और ओबीसी को दिए जाने वाला आरक्षण प्रभावित हुआ ।

मुख्यमंत्री द्वारा 21 नवंबर 2021 को मध्य प्रदेश पंचायत राज और ग्राम स्वराज संशोधन अध्यादेश के माध्यम से कांग्रेस सरकार द्वारा पूर्व में किए गए त्रुटिपूर्ण परिसीमन को निरस्त करते हुए यथास्थिति बनाई गई यह कांग्रेसी विरोधी चेहरा जो मध्य प्रदेश की विधानसभा के दस्तावेजों में बन गया है ।

शिवराज सिंह के नेतृत्व वाली प्रदेश सरकार सदैव ओबीसी के आरक्षण के पक्ष में रही एवं भाजपा सरकार ही है जिसने विधानसभा में  पारित कराया कि बिना ओबीसी आरक्षण के पंचायत एवं नगरी निकाय चुनाव नहीं होना चाहिए।

भाजपा ने प्रदेश भर में 2004 से लगातार तीन मुख्यमंत्री दिए मंत्रिमंडल में भी ओबीसी के मंत्रियों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व दिया गया केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों में ओबीसी आरक्षण का प्रतिबद्धता का प्रमाण मिलता है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ओबीसी की केंद्रीय सूची का दर्जा बढ़ाकर सूची को संवैधानिक दर्जा प्रदान करने के लिए संसद को शक्ति प्रदान की भाजपा शीघ्र चुनाव कराना चाहती है उसके लिए पहले से भी कई बार प्रयास किए हैं  पर यह भी चाहते हैं कि चुनाव पिछड़े वर्ग के आरक्षण के साथ हो  चुनाव कराए जाने एवं अन्य पिछड़ा वर्ग आरक्षण के साथ कराने का पुरजोर प्रयास भाजपा सरकार द्वारा किया जा रहा है।