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जीवन सार्थक बनाना है तो विनम्रता से ही जीता जा सकता है

सुनील पटल्या बेड़िया। अष्टान्हीका पर्व को जैन समाज द्वारा बड़े ही प्रतिदिन प्रातः नित्य नियम की अभिषेक,पुजन का कार्यक्रम अनवरत किया जा रहा है। जैन समाज अध्यक्ष अजय शाह व पंकज जटाले ने बताया कि पर्व हेतु इन्दौर से पधारे पंडित संजय सिधारती एवं पंडित सम्मेद शास्त्री के निर्देशन में क्षैत्र में खुशहाली एवं कोरोना महामारी से निजात पाने के लिए दोपहर में नंदीश्वर द्वीप मंडल विधान का भव्य आयोजन किया गया है। पंडित श्री संजय सिघार्थी ने अपने प्रवचनों के माध्यम से बताया की यदि आप अपने नन्हे मुन्ने बच्चो को मंदिर के द्वार तक ले जायेंगे । उनसे श्री जी पर अभिषेक आदि करवाएंगे तो उनमें भी धर्म के संस्कार आयेंगे। मंदिर जाना कोई आस्था या विश्वास का कार्य नहीं है अपितु बचपन से ही बच्चों में अच्छे संस्कार पैदा करना है और आने वाली पीढ़ी दुर्व्यसन से दूर करना है। मनुष्य को अपना जीवन सार्थक बनाना है तो विनम्रता से ही जीता जा सकता है, अहंकार में व्यक्ति अपनी बुद्धि खो देता है और अपना जीवन नर्क बना लेता है। पंडित जी के सफल निर्देशन में रात्री में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए जिसमें मंगलाचरण की शानदार प्रस्तुती के पश्चात माता देवी तत्व चर्चा रूपी नाटक में देवियों ने तीर्थंकर की माता से प्रश्न किए और माता मरू देवी द्बारा जिनागम के आधार पर तथ्य  पूर्वक उत्तर दिए। माता और देवियों के बीच होने वाले संवाद को काफी सराहा गया। इस अवसर पर बसंत जटाले, संतोष मानोरिया, लोकेंद्र शाह, श्रीमती कविता जटाले, श्रीमती अर्चना घाटे आदि ने पंडित जी द्वारा अल्प समय में करवाई गई। रंगारंग प्रस्तुती के लिए आभार व्यक्त किया एवं हर्ष जताया।