सुनील पटल्या बेड़िया। दश लक्षण पर्व का चोथा दिन उत्तम शौच का होता है। मन की शुद्धता का नाम उत्तम शौचधर्म है। जैन समाज अध्यक्ष अजय शाह एवं पंकज जटाले ने बताया कि नागपुर से पधारे पंडित श्री चैतन्य शास्त्री ने प्रवचन माला में संबोधित करते हुए कहा कि इस मानसिकता को परमात्मा के प्रति लगाने का नाम है। जो व्यक्ति मन वचन काय और परमात्मा में आस्था रखता है वहीं व्यक्ति शौच धर्म तक पहुंच पाता है। जब तक तुम्हारे भीतर क्रोध, मान, माया, लोभ के कंकर पत्थर भरे रहेंगे तब तक संत की वाणी आपके मन मस्तिष्क और हृदय का परिवर्तन नहीं कर पाएगी। जीवन से लोभ की गंदगी निकालने वाला और संतोष का गंगा जल लाने वाला अमृत तत्व शौच है। अधिक लाभ पाने के चक्कर में मानव लोभी बन जाता हैं, लोभ के कारण मानव भले बुरे का विचार भूल जाता है। धन की सोच में धर्म और परिवार के प्रति सोच समाप्त हो जाती हैं। धन को अपना सब कुछ मानकर दिन रात धन की चिंता करता है। जब तक मानव स्वयं सोच नहीं पाएगा तब तक शौच धर्म का पालन नहीं कर पाएगा। सोमवार की शांति धारा का सौभाग्य गौरव जैन एवं कैलाश मोदी को प्राप्त हुआ। इस अवसर पर सुरेन्द्र जटाले, पुष्पेन्द्र शाह, राजकुमार जटाले, श्रीमती कंचनबाई, प्रेमलता जैन, बेबी घाटे सुशीला शाह उपस्थित थे।
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