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दुष्टों का नाश कर भक्तों का उद्धार करने भगवान लेते हैं अवतार : सत्यदेवानंद महाराज

नीमगांव में आयोजित की जा रही श्रीमद् भागवत कथा

हरदा ।नीमगांव स्थित श्रीगुरु जम्भेश्वर मंदिर में संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। एक दिन पहले बुधवार को धूमधाम और आस्था के साथ श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया गया था। गुरुवार को कथा का वाचन करते हुए हरिद्वार से आए विद्वान संत आचार्यश्री सत्यदेवानंद महाराज ने कहा कि भगवान इस धरती पर अवतार क्यों लेते हो। जब जब इस धरती पर धर्म की हानि होती है तो भगवान अवतार लेकर भक्तों का उद्धार करते हैं। भगवान विभिन्न स्वरूपों में अवतार लेकर दुष्टों का नाश करते हैं। धरती पर मर्यादा की स्थापना करने भगवान अवतार लेते हैँ। प्राणी मात्र की रक्षा करने के लिए नारायण अवतार लेते हैं।

भगवान जाम्भोजी ने अपनी वाणी में कई बार श्रीकृष्ण के अवतार का उल्लेख करते हैं। कहते हैं मैंने ही श्रीकृष्ण के अवतार में दुष्टों का नाश किया। एक दिन पहले ही श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया गया था। गोकुलजी में नंदजी के आंगन में भगवान का जन्म होता है। नंदजी ने अपने भंडारे को खोल दिया। साठ साल की आयु में पुत्र का जन्म हुआ। सैनिकों को आदेश दे दिया कि जिसको जो चाहिए उसे दे दो। स्वर्ण व चांदी के बर्तन, मोती की अंगुठी, अन्न, कपड़े आदि लोग खुशी खुशी ले गए। श्रीकृष्ण के जन्म की खुशियां मनाई गई। संस्कृत भाषा के श्लोक भी सुनना चाहिए। इससे सुनने से आनंद आता है। सुखदेवजी ने राजा परीक्षित से श्लोक सुनने का कहा। तिल के पहाड़ बनाए। तिल को हवन मे पवित्र कहा गया है। उन्होंने कहा किभगवान विष्णु के अनेक नाम हैं। हमारी श्रद्धा भगवान के जिस भी नाम पर हो उस नाम का जब आप सुमिरन करेंगे तो हमारे पाप नष्ट होना शुरू हो जाते हैं। जब हमारे जीवन का पाप नष्ट हो जाएगा तो जीवन में केवल पुण्य ही बेचेगा। उस पुण्य की वजह से अपनी उन्नति, परिवर्तन, आध्यात्मिक शक्ति और परमात्मा की कृपा सब हमारे ऊपर बढ़नी शुरू हो जाएगी। भगवान जम्भेश्वर ने भी यही कहा है विष्णु विष्णु तू भण रे प्राणी मतलब मनुष्य को हर समय भगवान विष्णु का ही स्मरण करना चाहिए। इस नाम में बहुत बड़ी शक्ति है। इसलिए इस नाम को जपने से जीवन में पुण्य बढ़ेगा और पाप का नाश होगा।

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