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देश में तेजी से पैर पसार रहा स्वाइन फ्लू, अब तक 2777 मामले आए सामने

पिछले कुछ बरसों से स्वाइन फ्लू की दस्तक स्वास्थ्य सेवाओं को चौकन्ना कर देती है। पिछले दो बरस में तीन हजार से ज्यादा लोगों की जान लेने वाली यह खतरनाक बीमारी इस साल भी दबे पांव चली आ रही है और जनवरी के पहले तीन हफ्ते में देशभर में इसके 2777 मामले सामने आए हैं और कुल 85 लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें अकेले राजस्थान में मरीजों की तादाद 1233 है और मरने वालों का आंकड़ा 49 तक पहुंच चुका है।

स्वाइन फ्लू का प्रकोप राजधानी दिल्ली सहित देश के तमाम हिस्सों में बढ़ रहा है। दिल्ली में 20 जनवरी तक इसके कुल 229 मामले दर्ज किए गए। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के समेकित रोग निगरानी कार्यक्रम :आईडीएसपी: के आंकड़ों के अनुसार राजस्थान में इसके मरीजों और मरने वालों की संख्या सबसे ज्यादा है, जबकि उसके बाद पंजाब का स्थान है, जहां 90 लोग इसकी चपेट में आए और नौ की मौत हो गई।  रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और तेलंगाना में भी बीमारी की आमद दर्ज की गई है।

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सुअरों के श्वसन तंत्र से निकले वायरस के कारण होने वाली यह बीमारी बेहद संक्रामक है। हालांकि सामान्य अवस्था में यह बीमारी सुअरों से मनुष्यों में नहीं फैलती, लेकिन सूअर पालने वाले और उनके साथ काम करने वाले मनुष्यों में इसके संक्रमण की आशंका रहती है। बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट के रेस्परेटरी मेडिसिन में सीनियर कंसल्टेंट डाक्टर ज्ञानदीप मंगल का कहना है कि इस घातक बीमारी पर नियंत्रण करना बहुत जरूरी है, अन्यथा यह एक राष्ट्रीय बोझ बन सकती है। वह बीमारी के बारे में ज्यादा से ज्यादा लोगों को जागरूक करने के साथ ही इसकी चपेट में आने वालों के उचित उपचार और उसके आसपास के लोगों को इसके संक्रमण में आने से बचने के लिए पर्याप्त उपाय करने की हिदायत देते हैं।

डाक्टर ने बताया कि छोटे बच्चों, गर्भवती महिलाओं, डायबिटीज और दिल की बीमारी से मरीजों के इस बीमारी की चपेट में आने की आशंका अधिक होती है क्योंकि उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली सामान्य लोगों की तुलना में कमजोर होती है। वह सलाह देते हैं कि बीमारी की पहचान कर तत्काल इसका उपचार शुरू करना चाहिए अन्यथा मरीज की मृत्यु भी हो सकती है। बीमारी से संक्रमित लोगों के उपचार के लिए लगभग हर अस्पताल में एक अलग स्वाइन फ्लू वार्ड की व्यवस्था की जाती है ताकि अस्पताल के अन्य मरीजों और स्टाफ को इस बीमारी के संक्रमण से बचाया जा सके। आईडीएसपी के आंकड़ों के अनुसार पिछले साल 14,992 लोग स्वाइन फ्लू के वायरस के शिकार हुए और इनमें से 1,103 की मौत हो गई। उससे पिछले बरस इसका प्रकोप ज्यादा रहा और कुल 38,811 मरीजों में 2,270 को बचाया नहीं जा सका। इस साल भी यह बीमारी दबे पांव चली आ रही है और स्वास्थ्य एजेंसियां इसपर नियंत्रण के तमाम उपाय कर रही हैं।