मकड़ाई समाचार खिरकिया। आधुनिकता की चकाचौंध में आमजन के लिए मनोरंजन के पुराने साधन खत्म होने के साथ कलाएं लुप्त होती जा रही हैं। इसी के साथ कलाकारों की रोजी-रोटी भी खत्म हो रही है। ऐसे तमाम संघर्षों के बीच कन्नौद का रंगीला परिवार अपनी पैतृक बहुरूपिया कला को जिंदा रखे है। इस परिवार के सदस्य गुड्डू रंगीला हर साल नगर में पहुंचकर लोगों के बीच अपनी कला का प्रदर्शन कर मनोरंजन कर रहे हैं। वे यह कार्य कई वर्षों से निरंतर करते आ रहे हैं। उन्होंने बताया यह कला पिता रंजन रंगीला से सीखी।
कुछ वर्षों तक उनके साथ यह कार्य करने के बाद वे 26 सालों से स्वतंत्र रूप से यह काम कर रहे हैं। गुड्डू ने बताया हम जिस भी शहर या कस्बे में यह कला दिखाने जाते हैं, वहां हमें सबसे पहले इसकी सूचना पुलिस थाने में देनी होती है। खिरकिया से विशेष लगाव है। यहां के लोगों से उन्हें मान-सम्मान और प्यार मिलता है। रंगीला परिवार जिन रूपों को धारण कर जनता का मनोरंजन करता है उसमें भूत और पागल का वेश प्रमुख है। इससे वे कई बार लोगों को डराने में कामयाब हो जाते हैं। थोड़ी देर में जब उन्हें पता चलता है कि ये तो बहुरूपिया है तो वे खूब हंसते है। गुड्डू ने बताया कि ये सारे रूप धारण करने के विशेष सामग्रियों का उपयोग करते हैं। इन दिनों नगर के लोग रंगीला की कला का जमकर लुत्फ उठा रहे हैं।