मकड़ाई समाचार हरदा। कान्हा का मनमोहक स्वरूप और राधा की मनमोहिनी छवि हर किसी को लुभाती है।भगवान श्री कृष्ण के जन्म का उत्सव यानी जन्माष्टमी पर्व पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया मन्दिरों में बालगोपाल को पालने में झूलाकर कृष्ण जन्म की खुशियां मनाई गई। लोगो ने विधि विधान से घर में पूजा अर्चना कि इसके साथ ही मंदिरों और घरों में विशेष साझ सज्जा कर तैयारियां की गई हैं। पंजरी मक्खन का भोग लगाया गया । अनिल मल्हारे ने बताया की जन्माष्टमी पर्व पर बच्चों में विशेष उत्साह देखने को मिला । भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप और राधा के स्वरूप में सजाया गया है । घर-घर में भगवान श्री कृष्ण और राधा के दर्शन हो रहे हैं। माता- पिता भी अपने बच्चों का यह अनुपम स्वरूप देखकर खुशी से फूले नहीं समा रहे हैं। हम शुरू से सुनते आ रहे हैं कि भगवान कृष्ण की लीला अपरंपार है। भगवान की अपरंपार लीला के दर्शन बाल चंचल भावनाओं से होते हैं। जिस तरह भगवान कृष्ण लीलाएं रचने में माहिर थे। बच्चे भी कुछ ऐसे ही होते हैं। इसीलिए नन्हे नन्हे बच्चों में लोग बालकृष्ण का स्वरूप देखते हैं। यह परंपरा में हमें हमारे आराध्य भगवान श्रीकृष्ण से जोड़ती है। साथ ही यह प्रेरणा देती है कि हम बच्चे- बच्चे में भगवान श्री कृष्ण का स्वरूप देखें। कृष्ण और राधा के स्वरूप में सजे बच्चों को देखकर उनके चेहरे के भावों को महसूस करें। उनकी मनमोहक मुस्कान में खुद-ब-खुद नटखट लीलाधर के दर्शन होते है।
कृष्ण जन्माष्टमी पर तैयार हुए बच्चे केनू चोरे पांच माह ग्राम पोखरनी,नटखट भावेश ओनकर मात्र तीन माह छीपाबड़, अनिका नन्ही सात माह धौलपुर कलां,,मिस्टी परी लोमारे आठ माह, सुनैना-धनंजय वर्मा सात एंव आठ वर्ष रहटगांव, रेयांश भैसारे मात्र चार माह छीपाबड़,भूमिका बिटिया तीन वर्ष की,धौलपुर कलां,प्रियांशी बिल्लोरे हरदा ग्यारह माह की, दिव्यानि हंडिया रही।