पहली सालगिरह के दिन मौत: बुझ गया परिवार चलाने वाला चिराग, अस्पताल प्रबंधन ने नहीं दी कई महीने से सैलरी, जानिए अचानक कैसे गई जान ?
पत्नी सहित पूरे परिवार के सदस्यों का रो-रोकर बुरा हाल है
बालोद। जिले के अर्जुन्दा से एक बेहद दुखद घटना सामने आई है। जहां शादी की पहली सालगिरह के दिन 108 एम्बुलेंस ड्राइवर ने ड्यूटी करने के दौरान दम तोड़ दिया। इस घटना से इलाके में सनसनी फैल गई है। दरअसल, रात 12 बजे 108 एंबुलेंस पायलट 25 साल के कोमल चौधरी और उनका साथी अर्जुंदा शासकीय अस्पताल से राजनांदगांव एक मरीज को रेफर करने ले गए। जहां से वापस अर्जुंदा अस्पताल पहुंचे। दोनों अपने कमरे में आराम कर रहे थे।
जब सुबह हुई तब अचानक पायलट कोमल चौधरी के सीने में दर्द होने लगी, जिसके बाद उन्होंने इस बात की जानकारी अपने साथी खिलेश सार्वा को दी। फिर दोनों अस्पताल पहुंचे और जांच के बाद उन्हें इंजेक्शन लगाया गया। जैसे ही वह दोबारा कमरे में पहुंचा और आराम करने लगा, लेकिन तब तक यह आभास नहीं हुआ कि वह इतनी गहरी नींद में सो जाएगा कि कभी उठ ही नहीं पाएगा। जब उनके साथी ने उसे उठाने का प्रयास किया, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। वह दम तोड़ चुका था।
गांव में दौड़ी शोक की लहर
बताया जा रहा है कि मृतक कोमल चौधरी कि पिछले साल 19 मई को शादी हुई थी। वह अपनी पत्नी के साथ सालगिरह मनाने के बजाय मरीजों के लिए ड्यूटी करता रहा। इधर घटना के बाद से मृतक कोमल चौधरी के गांव मटिया में शोक की लहर दौड़ गई तो वहीं पत्नी सहित पूरे परिवार के सदस्यों का रो-रोकर बुरा हाल है।
3 माह से नहीं मिला वेतन
मिली जानकारी के अनुसार मृतक कोमल चौधरी को लगातार तीन माह से वेतन नहीं मिला है। बावजूद इसके वह लगातार ड्यूटी कर रहा था। यही उम्मीद के साथ कि उन्हें वेतन मिलेगा और उनके परिवार का गुजारा चलेगा। अब परिवार को उम्मीद है कि शासन प्रशासन अगर उन्हें किसी तरह से रोजगार मुहैया कराती है और किसी तरह का अनुदान देती है तो उनके घर का गुजारा चल पाएगा।
बुझ गया परिवार को चलाने वाला चिराग
मिली जानकारी के अनुसार मृतक के परिवार में 4 सदस्य हैं, जिसमें से उनकी पत्नी दिलेश्वरी चौधरी अभी गर्भवती है और छोटा भाई पंकज चौधरी पढ़ाई करता है। माता टामिन चौधरी और पिता तरुण चौधरी बुजुर्ग होने के कारण काम करने में असमर्थ हैं, जिसके चलते कोमल चौधरी की आमदनी से ही परिवार का गुजारा चलता था, लेकिन अब उसके गुजर जाने के बाद परिवार चलाने के लिए कोई नहीं बचा।