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‘प्रशासन गांव ओर’ कार्यक्रम के तहत ‘‘वसुमता क्लस्टर कैम्प’’ सम्पन्न

कलेक्टर श्री गर्ग ने वसुमता क्लस्टर कैम्प की व्यवस्थाओं का लिया जायजा

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मकड़ाई समाचार हरदा। सुशासन सप्ताह के तहत ‘‘प्रशासन गांव की ओर’’ कार्यक्रम के अंर्तगत 19 से 24 दिसम्बर के बीच ग्रामीणों की शिकायतों के निराकरण के लिये विशेष अभियान चलाया जा रहा है। इसी क्रम में कृषि एवं कृषि से संबंध विभाग उद्यानिकी, पशुपालन, मत्स्यपालन, वन विभाग, सहकारिता विभाग, कृषि उपज मंडी आदि की हितग्राही मूलक योजनाओं के प्रचार-प्रसार, हितग्राहियों के प्रकरण तैयार करने तथा कृषिगत प्रणालियों के बारे में जानकारी प्रदान करने के लिये जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में ‘‘वसुमता क्लस्टर कैम्प’’ आयोजित किये जा रहे है। मंगलवार को जिले की ग्राम पंचायत कायदा में वसुमता कैम्प का आयोजन किया गया। कैम्प में कायदा, बोरपानी, चन्द्रखाल, केली, मालेगांव, रवांग, कचनार, लोधीढाना, पाटियाकुआ, रातामाटी, बडझिरी, लाखादेह, बंशीपुरा व बांसपानी क्षेत्र के लगभग 106 कृषक सम्मिलित हुए।

कलेक्टर श्री ऋषि गर्ग ने ग्राम कायदा पहुँच कर कैम्प के अंतर्गत आयोजित गतिविधियों की समीक्षा की। उन्होने कृषकों को संबोधित करते हुए कहा कि कृषि के साथ-साथ उद्यानिकी, पशुपालन, मत्स्य पालन आदि संबंधी जानकारी एक ही शिविर में एक ही जगह कृषकों को प्राप्त हो, यही हमारा प्रयास है। उन्होने इस दौरान उपस्थित कृषकों से उर्वरक की उपलब्धता संबंधी जानकारी ली। कृषकों ने उन्हें बताया कि मांग अनुसार भरपूर यूरिया एवं अन्य उर्वरक सेवा सहकारी समितियों में उपलब्ध है तथा सभी किसानों को सुगमता से मिल रहा है। निरीक्षण के दौरान कृषकों ने कलेक्टर श्री गर्ग को बताया कि वर्ष 2019-20 का फसल बीमा दावा राशि प्राप्त नहीं हुई है। उन्होने इस संबंध में सहायक आयुक्त सहकारिता श्री वासुदेव भदोरिया एवं उपसंचालक कृषि श्री एम.पी.एस. चन्द्रावत से इस संबंध में जानकारी ली। कलेक्टर श्री गर्ग ने कृषकों को समझाईश दी फसल बीमा कम्पनी एवं बैंक दो अलग-अलग संस्थाएं है। बैंक द्वारा खाते में प्रीमियम डेबिट करने के पश्चात फसल बीमा के पोर्टल पर प्रविष्टि करना होती है, जिसमे कभी-कभी तकनीकी त्रुटि हो जाती है। उन्होने कहा कि हम इसको चैक करायेंगे तथा जिन संस्था की गलती होगी, उनके विरूद्ध उपभोक्ता फोरम में शिकायत दर्ज कराएंगे।
शिविर में वन मण्डल अधिकारी श्री अंकित पाण्डेय ने कृषकों को चना फसल में यूरिया उर्वरक उपयोग के दुष्परिणामों की जानकारी दी। उन्होने बताया कि चना फसल की जड़ों में 20 दिन पश्चात गठो बनना शुरू हो जाती है, जिसमें विद्यमान रायजोबियम बेक्टेरिया वायुमण्डल की नाइट्रोजन का स्थिरीकरण कर पौधों को उपलब्ध कराते है। यदि युरिया उर्वरक का उपयोग 20 से 30 दिन के बीच किया गया तो गठानों का निर्माण प्रभावित होता है। वनमण्ड अधिकारी श्री पाण्डेय इस दौरान प्रजातिय प्रतिस्थापन के बारे में उपसंचालक कृषि श्री चन्द्रावत से जानकारी ली। उन्होने कृषकों से चने की उन्नतशील प्रजापतियों के बारे में जानकारी ली।
शिविर में पशुपालन विभाग द्वारा 30 पशुपालकों को दवाई वितरण की गई। इस दौरान 2 पशुपालकों के यहां 8 पशुओं का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। शिविर में 10 कृषकों द्वारा कुक्कुटपालन एवं 6 कृषकों द्वारा बकरी पालन से संबंधित योजनाओं की जानकारी ली गई तथा आवेदन तैयार कराये गये। शिविर में मत्स्य पालन विभाग के सहायक संचालक अरविन्द्र कुमार डांगीवाल ने कृषकों को मत्स्यपालन संबंधी योजनाओं से अवगत कराते हुए शासन की ओर से दिये जाने वाले हितलाभ के संबंध में बताया। शिविर में उपसंचालक कृषि चन्द्रावत ने कृषकों को प्रति हेक्टयर अनुशंसित मात्रा से अधिक मात्रा में यूरिया उर्वरक के उपयोग से दुष्परिणामों के बारे में बताया। उन्होने कृषकों से अनुरोध किया कि वे अनुशंसित यूरिया उर्वरक की मात्रा में ही उपयोग करें। शिविर में पौध संरक्षण वैज्ञानिक डॉ. ओमप्रकाश भारती एवं डॉ. रूपचन्द्र जाटव ने भी कृषकों को महत्वपूर्ण जानकारी दी।