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नर्मदा नदी में स्नान व पूजा अर्चना कर लोग करेगे नववर्ष 2023 का आगाज,, प्राचीन धार्मिक मंदिरों में उमड़ेगा भक्तो का जनसैलाब

हरदा हंडिया।    बीतते हुए साल 2022 को नववर्ष 2023 में बदलने का इंतजार महज कुछ ही घंटों में खत्म होने वाला है,

शनिवार रात्रि में ठीक बारह बजे जैसे ही घड़ी के कांटे आपस में मिलेंगे तो पटाखे फूटने लगेंगे,और फिर साल 2022 इतिहास बन जाएगा। ,सभी लोग नववर्ष को लेकर उत्साहित हैं,कुछ लोग नव वर्ष का स्वागत प्राचीन तथा ऐतिहासिक धरोहरों में करेंगे तो कुछ लोग मंदिरों तथा धार्मिक स्थलों में सुख समृद्धि की कामना करेंगे,ताकि नववर्ष मंगलमय हो,यहां बीते वर्ष की भांति नये साल के पहले दिन सभी ऐतिहासिक और प्राचीन धरोहरें तथा धार्मिक स्थल लोगों से गुलज़ार रहेंगे,तो वहीं सुरक्षा को लेकर पुलिस कर्मी मौजूद रहेंगे,।

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जिले के अंतिम छोर पर बसी धार्मिक नगरी हंडिया के सभी पुरातात्विक तथा धार्मिक स्थल नववर्ष पर गुलजार रहेंगे,वैसे तो यहां हमेशा ही श्रद्धालुओं का रैला लगा रहता है क्योंकि यहां पर मध्य प्रदेश की जीवन रेखा कहीं जाने वाली मां नर्मदा की कलकल बहती लहरें लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं, श्रद्धालु गण मां नर्मदा में स्नान कर पुण्य लाभ अर्जित करतें हैं,यहां भगवान रिद्धनाथ महादेव का प्राचीन मंदिर है ।

जिसकी स्थापना कुबेर द्वारा की गई थी।कहा जाता है कि जब रावण ने कुबेर से लंका नगरी के साथ पुष्पक विमान छीन लिया था।तब यहां कुबेर ने तपस्या की थी।जिससे उनकी मनोकामना पूरी हुई थी,तभी से यहां भगवान श्री रिद्घनाथ महादेव का हजारों वर्ष पुराना प्राचीन शिवलिंग स्थापित है, श्री रिद्घनाथ मंदिर के सामने मां नर्मदा के बीचों बीच मां नर्मदा का नाभि स्थल माना जाता है।यह पवित्र स्थान नर्मदा मैया के उद्गम से समुद्र में मिलने तक की लंबाई का मध्य भाग माना जाता है।
  इतना ही नहीं धार्मिक नगरी हंडिया में श्री शिव करुणा धाम आश्रम में भगवान भोलेनाथ का नवनिर्मित भव्य मंदिर हैं,जहां प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु गण पहुंचते हैं,तहसील क्षेत्र में प्राचीन धरोहरें हैं जहां पर पर्यटक हमेशा ही घुमने के लिए आते है।
इन प्राचीन पुरातात्विक ऐतिहासिक तथा धार्मिक धरोहरों में प्राचीन स्थान मांगरूल मार्ग में पहाड़ी पर स्थित हिंडोलनाथ बाबा है,बताया जाता है कि यहां रोजाना प्रतिदिन सिंदुर का नया त्रिशुल बनता है।
इसके अलावा हंडिया के नजदीक ही लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर तेली की सराय है।जहां पर कई कमरों के साथ एक विशाल दरवाजे बने हुए हैं। इसके अंदर एक कुंआ है,तेली की इस‌ सराय के समीप ही पहाड़ी पर तुरूक बीबी का मकबरा बना हुआ है। वहीं इनके पास ही पत्थर पर शेष नाग की मूर्ति बनी हुई है।
हंडिया तहसील से करीब 20 किलोमीटर दूर ग्राम जोगा है जहां पर मां नर्मदा की दो धाराओं के बीच टापू पर एक किला बना हुआ है।जिसे जोगा का किला कहा जाता है। इसके बारे में कहा जाता है कि इस किले को हुशंगशाह गौरी ने बनवाया था।