मकड़ाई समाचार भोपाल। पुराने शहर के कायस्थपुरा में स्थित प्राचीन श्री बड़वाले महादेव मंदिर में शिव भक्तों की इन दिनों भीड़ उमड़ रही है। खासकर सावन सोमवार को सुबह से लेकर देर रात तक श्र द्धालुओं का तांता लगा रहता है। फिलहाल मंदिर का जीर्णोंद्वार किया जा रहा है, इसलिए बाबा श्री बटेश्वर को टीन शेड में विराजित किया गया है। बाबा बटेश्वर बड़ के पेड़ की जड़ में विराजे हैं। यह मंदिर भोपाल, सीहोर, विदिशा, रायसेन सहित आसपास के जिलों में रहने वाले लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र है। मंदिर में रोजाना शिव भक्त मत्था टेकने आते हैं, लेकिन सावन सावन सोमवार, महाशिवरात्रि पर भक्तों की भीड़ उमड़ती है। कोरोना के कारण दो साल सादगीपूर्वक पर्व मनाए गए। अब भक्तों का रेला उमड़ रहा है। सावन सोमवार को बाबा श्री बटेश्वर का विभिन्न प्रजातियों के फूलों से विशेष श्रृंगार किया जा रहा है।
मंदिर का इतिहास
श्री बड़वाले महादेव मंदिर का इतिहास 200 वर्ष पुराना है। पहले एक बगीचा हुआ करता था। इसमें कई प्रजातियों के पेड़ लगे थे। एक दिन एक यात्री महात्मा बगीचे में आए। वटवृक्ष की छाया में विश्राम करने के लिए लेट गए। करवट लेने के दौरान उनका सिर पेड़ की जड़ में स्थित एक शिला से टकराया। शिला को गौर से देखने पर शिवलिंग के दर्शन हुए। महात्मा ने आसपास खोदाई कराई। 36 फीट गहरी खोदाई की गई। शिवलिंग का छोर नहीं मिला। पानी निकलने के कारण खोदाई बंद कर दी गई। इसके बाद से बाबा श्री बटेश्वर का मंदिर बड़वाले महादेव मंदिर के नाम से पहचाने जाने लगा। आसपास के लोगों ने पूजा-अर्चना शुरू कर दी।
चर्मरोग ठीक होने की मान्यता
मंदिर प्रांगण में वटवृक्ष है। इसमें जटाएं नहीं हैं। बिना जटाओं का वट वृक्ष नहीं होता है। वहीं पीपल के वृक्ष में जटाएं हैं। साथ ही यहां एक कुंआ है, जिसके पानी से स्नान करने पर चर्मरोग के ठीक होने का दावा किया जाता है। भीषण गर्मी में भी कुंए का पानी कम नहीं होता है। श्री बड़वाले महादेव मंदिर में 21 दिन तक महाशिवरात्रि पर्व मनाते हैं। चांदी के रथ में बाबा श्री बटेश्वर की बारात निकलती है, जो सोमवारा जय भवानी मंदिर तक जाती है। सावन सोमवार को विशेष अभिषेक व श्रृंगार होता है। -संजय अग्रवाल, संयोजक, मंदिर समिति
पांच करोड़ रुपये से दिया जा रहा मंदिर को भव्य रूप
इस मंदिर का जीर्णोंद्वार किया जा रहा है। जिसका काम एक साल में पूरा होगा। पांच करोड़ रुपये की लागत से मंदिर बनवाया जा रहा है। मंदिर शिखर 31 फीट का रहेगा। मंदिर में पर्याप्त पेयजल और हाथ धोने की व्यवस्था की जाएगी। वर्ष 2009 से मंदिर में ओम नम: शिवाय का जाप चल रहा है। मंदिर में धनतेरस पर 1100 दीप जलाए जाते हैं। सावन सोमवार श्रद्धा-भक्ति के साथ मनाए जाते हैं। बड़ी संख्या में भक्त मौजदू रहते हैं। -प्रमोद नेमा, सदस्य, मंदिर समिति