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बुंदेलखंड के 108 अध्यात्मिक केन्द्रों में जागृत केन्द्र: बागेश्वर धाम गढा

पंकज पाराशर छतरपुर✍️

बुंदेलखंड के 108 अध्यात्मिक केन्द्रों में शुमार छतरपुर जिले का बागेश्वर धाम बालाजी हनुमान मंदिर गढा आस्था का जागृत केन्द्र हैं। 300 साल पुराने इस मंदिर का निर्माण सन् 1887 में बाबा सेतु लाल गर्ग ने कराया था। मान्यता है कि धाम की परिक्रमा करने से दुख: तकलीफों से निजात मिल जाती है। यही वजह है कि देश विदेश के श्रद्धालु बालाजी के दर्शन करने आते हैं।
मान्यता है कि बागेश्वर बालाजी धाम गढा में 40,000 शक्तियां भक्तों की निगरानी करती हैं। इस धाम में मंदिर के आसपास हनुमान जी की 46,000 सेना चारों ओर घूमती रहती है और दु:खी लोगों के मन की बात भगवान तक पहुंचाती हैं।
बागेश्वर सिद्पीठ के शास्त्री धीरेंद्र कृष्ण महाराज ने कलयुग के जागृत देवता, पिता व राजा हनुमान जी के जीवन से सीख, मानवता, वर्तमान समाज और देश को विश्वगुरु बनाने को लेकर अपने मन की बात रखी। उन्होंने कहा, कलयुग के राजा हनुमान जी हैं। जब श्रीराम परमधाम को जाने लगे तब हनुमान जी को उन्होंने राजा बनाया था। राजा के राज्य में कोई प्रजा दुखी नहीं रह सकती है। जो भी इनकी शरण में आते हैं, निश्चित रूप से एक पिता और राजा के रूप में हनुमान सबके कष्ट हरते हैं। माता-पिता की सेवा का हनुमान जी जैसा भाव सबमें आए तो जीवन का उद्धार होगा।
शास्त्री ने हनुमान जयंती कहने को गलत करार दिया। उन्होंने कहा, जयंती महापुरुषों की मनाई जाती है, जिनका जीवन पूर्ण हो चुका है। हनुमान जी तो आज भी हमारे बीच हैं। बागेश्वर धाम पर लीलाएं कर रहे हैं। मेहंदीपुर बालाजी, सारासर बालाजी में भी लीलाएं कर रहे हैं। कलयुग के जागृत देवता का जन्मोत्सव, प्रकटोत्सव मनाया जाता है।

हनुमान जी से क्या सीख मिलती ?.

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हनुमान जी ने जीवन में जो भी उपलब्धि पाई, जो भी काज किए, उसे प्रभु के चरणों में समर्पित कर दिया। उनके जीवन से यही शिक्षा मिलती है कि अपने जीवन का सबकुछ प्रभु को समर्पित करने से चारों युग में परिताप बना रहेगा।

वैदिक परंपरा की ओर कैसे लौटेंगे ?…….

कलयुग में राम नाम की महिमा है। जो भी राम नाम में डूब जाता है, धर्म की रक्षा करने वाले साधु संतों, माता-पिता और गुरु का सम्मान करता है, कलयुग में उस पर हनुमान जी की कृपा निश्चित रूप से होती है।