ब्रेकिंग
हंडिया : हर हर गंगे के उद्घोष के साथ मां नर्मदा में हजारों श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी !  विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर कलेक्टर श्री जैन एसपी श्री चौकसे ने किया पौधारोपण। जल एवं पर्यावरण संरक्षण के लिए पौधरोपण अवश्य करें विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर केंद्रीय मंत्री श्र... एक पेड़ माँ के नाम से पौधा लगकर विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया!  भाजपा युवा मोर्चा जिला अध्यक्ष विजय जेवल्या ने मूंग खरीदी के लिए केंद्रीय मंत्री को दिया आवदेन पत्र,... हरदा: स्वस्थ्य रहने के लिए खेल को जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाइये: एसपी अभिनव चौकसे  बालागाँव की हरियाली 99% से घटकर 9% रह गई, इसलिए आसमान से आग बरस रही है : मदन गौर पत्रकार हरदा विधायक डॉ. दोगने द्वारा केन्द्रीय राज्य मंत्री को पत्र सौप कर की गई हरदा रेल्वे स्टेशन पर बड़ी ट... कुख्यात डकैत पान सिंह तोमर की पौती ने बिजली अधिकारी को मारे थप्पड़ और घूंसे हज़रत सैयद हंडिया शाह भडंग पीर बाबा की दरगाह पर सालाना 23 वें उर्स चढ़ाई चादर

भारत का वो गांव जहां विधवा के लिबास में विदा होती है दुल्हन, मां-बाप ही पहनाते हैं सफ़ेद कपड़ा

भारत में कई तरह के समुदाय के लोग रहते हैं। हर समुदाय के लोगों के अपने नियम-कायदे होते हैं। साथ ही अलग-अलग तरह की परम्पराएं होती हैं। हालांकि, चाहे कोई भी धर्म हो या कोई भी समुदाय हो, उनके लिए शादी किसी महोत्सव से कम नहीं होता। भारत में शादियां किसी त्योहार की तरह मनाई जाती है। आज हम जिस समुदाय के बारे में बताने जा रहे हैं, वहां शादी के बाद बेहद अजीब रिवाज निभाया जाता है। यहां शादी होने के बाद माता-पिता ही दुल्हन का लाल जोड़ा खुलवा देते हैं। इसके बाद उसे विधवा के लिबास में विदा किया जाता है।

हम बात कर रहे हैं मध्य प्रदेश के मंडला जिले के भीमडोंगरी गांव की। यहां आदिवासी समाज के लोग रहते हैं। इनमें शादियां काफी धूम-धाम से करवाई जाती है। सब कुछ वैसा ही होता है जैसा किसी आम भारतीय शादी में होता है। लेकिन शादी के बाद अजीबोगरीब रस्म यहां निभाई जाती है। वो है दुल्हन को सफ़ेद लिबास में विदा करना। जी हाँ. यहां विदाई एक समय दुल्हन को विधवा की तरह सफ़ेद कपड़े पहना दिए जाते हैं। लेकिन इससे भी अजीब एक और बात होती है। ना सिर्फ दुल्हन, बल्कि गांव के हर शख्स को शादी में सफ़ेद कपड़े पहनने का रिवाज है।

इसलिए पहनते हैं सफ़ेद कपड़े

- Install Android App -

अब आप सोच रहे होंगे कि ये कैसी प्रथा है? दरअसल, इसके पीछे ख़ास कारण है। दरअसल, इस गांव में रहने वाले गौंडी धर्म का पालन करते हैं। उनके लिए सफ़ेद रंग शांति का प्रतीक होता है। साथ ही सफ़ेद रंग को पवित्र मानते हैं जिसमें कुछ मिलावट नहीं होती। इस कारण लोग सफ़ेद लिबास को शादी में पहनना शुभ मानते हैं। इस गांव में रहने वाले गौंडी धर्म के लोग अन्य आदिवासी रिवाजों से अलग नियम मानते हैं। इस गांव में शराब पूरी तरह प्रतिबंधित है।

अलग हैं नियम कायदे

इस गांव में शादी-ब्याह में सफ़ेद कपड़े पहनने के अलावा और भी कई अलग रिवाज माने जाते हैं। शादी के समय लोगों का पहनावा देखकर ये अंदाजा लगाना मुश्किल है कि वहां ख़ुशी का जश्न मनाया जा रहा है कि मातम मनाया जा रहा है? इसके अलावा यहां शादी में अन्य समुदायों से अलग कुछ रिवाज माने जाते हैं। जैसे आमतौर पर दुल्हन शादी के समय अपने घर पर फेरे लेती है। लेकिन इस समुदाय में दूल्हे के घर पर फेरे लिए जाते हैं। चार फेरे दुल्हन के घर पर लेकिन बाकी के तीन दूल्हे के घर पर।