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मप्र के नरसि‍ंंहपुर में इंजन के जले तेल और केमिकल से बना रहे थे ‘जहरीला गुड़’

मकड़ाई समाचार नरसिंहपुर। कोरोनावायरस का खतरा अभी पूरी तरह से टला भी नहीं है कि अब खानपान के सामानों में मुनाफाखोरी के लिए कतिपय लोग जनस्वास्थ्य को खतरे में डालने लगे हैं। ताजा मामला करेली के समीपस्थ खुलरी गांव का है। यहां स्थित रेवाश्री खांडसारी मिल में बेमौसम अप्राकृतिक गुड़ बनाने का मामला सामने आया है। मिल में इंजन के जले तेल, उप्र की फैक्टरी के अवशिष्ट रावा व अन्य केमिकलों की मदद से गुड़ बनाया जा रहा था। कलेक्टर के संज्ञान में ये बात आने पर पुलिस, राजस्व व खाद्य सुरक्षा की टीम ने मिल में छापामारी भी की। हालांकि संचालक उन्हें नहीं मिले।

जानकारी के अनुसार खुलरी गांव स्थित रेवाश्री खांडसारी मिल में अप्राकृतिक गुड़ निर्माण को लेकर स्थानीय ग्रामीणों ने कलेक्टर के नाम एक शिकायत सौंपी थी। इसमें कहा गया था कि गन्ने का समय समाप्त होने के बाद भी मिल संचालक द्वारा प्रदेश के बाहर से केमिकलयुक्त राव खरीदकर यहां पर हानिकारक गुड़ का निर्माण कराया जा रहा है। आरोप लगाया गया है कि फैक्टरी में इंजन के जले तेल का उपयोग भी गुड़ निर्माण में हो रहा है। इसे खाकर व्यक्ति का स्वास्थ्य खराब होना तय है।

गुड़ को कड़ा करने के लिए इसमें लकड़ी का बुरादा भी मिलाया जा रहा है। भट्टियों को जलाने के लिए भारी संख्या में टायरों का इस्तेमाल हो रहा है, जिससे आसपास वायु प्रदूषण फैल रहा है। आमजन का स्वास्थ्य बिगड़ने का भरपूर अंदेशा है। शिकायतकर्ता धनंजय, अनूप, कमल राजपूत, रामेंद्र सिंह, अनूप ठाकुर, आशीष सिंह, देवेश राजपूत, धनंजय प्रताप, शिवपाल राजपूत, शिवकुमार बुंदेला आदि ने कलेक्टर से मिल संचालक के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत अपराध दर्ज करने की मांग की थी।

शिकायत मिलने पर कलेक्टर वेदप्रकाश ने खाद्य सुरक्षा अधिकारी अमित गुप्ता को जांच के निर्देश दिए। श्री गुप्ता ने शनिवार को पुलिसबल व राजस्व टीम के साथ खुलरी गांव स्थित खांडसारी मिल में दबिश दी। यहां उन्होंने गुड़ के सैंपल भी लिए और प्रयोगशाला में जांच के लिए भेजा। यद्यपि छापामारी की सूचना लगने पर मिल संचालक नदारद हो गए। उन्होंने फोन पर अफसरों से कहा कि वे ये गुड़ मवेशियों के लिए बना रहे हैं।

गुड़ की परिया में मिले मृत जीव-जंतु, छापे के पूर्व गायब

रेवाश्री खांडसारी मिल में बेमौसम अप्राकृतिक रूप से तैयार हुए करीब 10-20 किग्रा भार वाली गुड़ की परिया में मृत जीव-जंतुओं की तस्वीरें सामने आईं हैं। गुड़ की एक परिया में तो मृत चिड़िया चिपकी मिली है। वहीं कुछ अन्य परियों में मृत कीड़े-मकोड़ों की भरमार भी है। इसके अलावा गीले गुड़ में जले तेल व केमिकल की चिकनाहट साफ तौर पर देखी जा सकती है। बताया जा रहा है कि ये जहरीला गुड़ जिले के आदिवासी अंचलों में सप्लाई किया जा रहा है। जिससे मानसूनकाल में जबकि खाद्य सुरक्षा को अहमियत दी जा रही हो, ऐसे में जनस्वास्थ्य के लिए ये अप्राकृतिक गुड़ खतरे की घंटी है।

मिल कर्मचारी ने गुड़ खाकर बताई सच्चाई, बाद में गायब

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मिल में बनाए जा रहे अप्राकृतिक गुड़ की शिकायत होते ही संचालक रजनीश कौरव इस गुड़ को पशुओं के लिए बनाना बताने लगे। हालांकि कौरव के इस झूठ को उन्हीं के एक कर्मचारी गजराज सिंह ने उजागर कर दिया। जले तेल में डुबोकर रावा से बनाए गए गुड़ को गजराज सिंह ने कैमरे के सामने ही खाकर बता दिया कि इस गुड़ का निर्माण इंसानों के लिए ही किया जा रहा है। कर्मचारी तो यहां तक कहता नजर आया कि गुड़ बड़ा मीठा है, इसे खाने में कोई दिक्कत नहीं है। जानकारों के अनुसार मृत जीव-जंतुओं, केमिकल व अवशिष्ट से बना इस तरह का गुड़ जानवरों के जीवन के लिए बेहद खतरनाक है। वहीं इस संबंध में खाद्य सुरक्षा अधिकारी का कहना था कि छापामारी के दौरान उन्हें यहां पर न तो टायर मिले न ही जला तेल। और तो और वीडियो में जो कर्मचारी गजराज गुड़ खाता नजर आ रहा था, वह भी छापामारी के दौरान गायब रहा। संभव है कि मिल प्रबंधन के कहने पर उसे अन्यत्र कहीं भिजवा दिया गया हो।

कलेक्टर वेदप्रकाश की गुड़ ब्रांडिंग पर लगा रहे कलंक

भारत सरकार की योजना एक उत्पाद एक जिला के अंतर्गत कलेक्टर वेदप्रकाश ने जिले के गुड़ की मिठास को राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए बीते साल खूब मेहनत की थी। इसका नतीजा ये रहा कि इंदौर में लगे एक्सपो में जिले के गुड़ को खरीदारों ने हाथों-हाथ लिया। गुड़ की मिठास के साथ-साथ इसकी ब्रांडिंग भी खूब हुई, जिले को ख्याति मिली लेकिन कतिपय लोग इस पहचान पर कलंक लगाने से बाज नहीं आ रहे हैं। खुलरी की रेवाश्री खांडसारी मिल इसका एक उदाहरण है। जानकारी के अनुसार जिले में इस तरह की कुछ और खांडसारी मिले हैं जहां अप्राकृतिक गुड़ का निर्माण किया जा रहा है।

इनका ये है कहना

बारिश के मौसम में बनने वाला गुड़ एक तो अप्राकृतिक है। यदि उसमें जला तेल व केमिकल मिलाया जा रहा है तो ये इंसानों के साथ-साथ पशुओं के लिए भी खतरनाक है। जिला प्रशासन को चाहिए कि इस पर तत्काल रोक लगाएं, मिल संचालक पर भी सख्त कार्रवाई करें।

डॉ. संजीव चांदोरकर आइएमए जिलाध्यक्ष, नरसिंहपुर।

कलेक्टर के निर्देश पर हमने खुलरी की मां रेवाश्री खांडसारी मिल में छापा मारा था। यहां पूरे समय पुलिसबल भी तैनात रहा। यहां निसंदेह अप्राकृतिक रूप से गुड़ बनाने का काम चालू मिला। मिल संचालक गायब रहे, वो कर्मचारी भी नहीं था, जो वीडियो में गुड़ खाता नजर आ रहा था। मामले में नोटिस जारी कर प्रकरण को अपर जिला दंडाधिकारी न्यायालय के समक्ष पेश किया जा रहा है।

अमित गुप्ता खाद्य सुरक्षा अधिकारी, नरसिंहपुर