डैनी उतपूरे मकड़ाई समाचार ब्यूरो बैतूल– बैतूल/सारनी
बैतूल में कोर्ट के ऑर्डर के बावजूद धोखाधड़ी के एक मामले में एफआईआर न करने पर सारणी थाने के थाना प्रभारी के खिलाफ बैतूल की प्रथम श्रेणी न्यायिक दण्डाधिकारी अदालत में अवमानना का प्रकरण दायर किया गया है। घोड़ाडोंगरी की महिला प्रीति उबनारे ने पुलिस के खिलाफ यह कार्रवाई की है। महिला से एक बैंक के अधिकारियों ने लोन के नाम पर धोखाधड़ी की थी।
इस मामले अदालत ने सारणी पुलिस को एफआईआर का आदेश किया था, लेकिन पुलिस ने एक महीने बाद भी इस पर मामला दर्ज नहीं किया तो महिला ने अपने वकील अंशुल गर्ग के जरिए अदालत में सारणी थाना प्रभारी के खिलाफ अवमानना का प्रकरण दर्ज करवा दिया है।
वीडियो चौक घोड़ाडोंगरी निवासी प्रीती उबनारे पत्नी संजय उबनारे ने पुलिस से शिकायत की थी कि बैतूल निवासी रोबिन और जबलपुर के नारायण पाटकर एक बैंक का प्रबंधक है। नवंबर 2019 को रोबिन ने खुद को बैंक का एजेंट बताकर महिला को लोन लेने के लिए फोन किया था। महिला के अधिवक्ता अंशुल गर्ग के मुताबिक तब महिला को नहीं बताया गया था कि लोन किस ब्याज पर दिया जाएगा।
उससे दस्तावेज और कोरे चेक ले लिए गए थे। इसके बाद महिला के बैंक खाते में 1,70,000 रुपए एवं 2,72,571 रुपए का ड्राफ्ट भी आवेदिका के पास आ गया। जब महिला ने कहा कि उसने तो लोन फार्म भरा ही नहीं है और उसे इतने पैसों की जरूरत नहीं है।
तब एजेंट ने महिला से डीडी वापस ले लिया। इसकी शिकायत पुलिस को करने पर एजेंट ने डीडी फिर वापस दे दी। तब से महिला के खाते से कई चार्ज कट रहे हैं। पुलिस से इसकी शिकायत करने पर कोई कार्रवाई न होने पर महिला ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था।
कोर्ट ने आदेश में कहा था कि रोबिन द्वारा आवेदिका को लोन नहीं चाहते हुए भी लोन दिलाया गया। इसके लिए आवेदिका मना करती रही है। और यह भी कहती रही कि लोन कितने ब्याज पर मिलेगा और कितना मिलेगा यह भी नहीं बताया गया और जबरन कमीशन प्राप्त करने एवं बैंक को फायदा पहुंचाने की नियत से यह कार्य किया गया।
अभियुक्त रोबिन के उक्त कृत्य में अभियुक्त नारायण भी सहयोगी रहा है और इस प्रकार आवेदिका के साथ धोखाधड़ी की गई। आवेदिका की ओर से अभियुक्त रोबिन द्वारा 10 दिसंबर 2019 की अभिस्वीकृति पचास रुपए के स्टांप पर अभिस्वीकृति, डिमांड ड्राफ्ट, आईसीआईसीआई बैंक का स्टेटमेंट, आईसीआईसीआई बैंक का पत्र, थाना प्रभारी सारणी एवं एसपी बैतूल को शिकायत एवं एडीओपी सारणी को शिकायत भी की गई है। किंतु पुलिस के द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की। उक्त समस्त दस्तावेजों से इस तथ्य की पुष्टि होती है कि आवेदिका द्वारा अभियुक्तगण के विरुद्ध कार्रवाई किए जाने का भरसक प्रयास किया गया।
आवेदिका परेशान होती रही, किंतु पुलिस पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा। इन सभी तथ्यों पर विचार करने के बाद न्यायालय इस निष्कर्ष पर पहुंचती है कि अभियुक्तगण द्वारा आवेदिका के साथ धोखाधड़ी की गई है। जिसकी शिकायत आवेदिका द्वारा किए जाने पर अभियुक्तगण पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
अतः न्यायालय अभियुक्तगण के विरुद्ध धारा 156 ( 3 ) दं.प्र.सं. के तहत कार्रवाई किए जाने के संपूर्ण आधार मानते हुए आवेदिका की ओर से प्रस्तुत आवेदन पत्र स्वीकार किया जाता है एवं पुलिस थाना सारणी के भारसाधक अधिकारी को यह निर्देशित किया जाता है कि मामला संज्ञेय प्रकृति का है। अतः अपराध पंजीबद्ध करें और उचित रीति से अनुसंधान करें तथा अंतिम प्रतिवेदन अनुचित विलंब के बिना प्रस्तुत करें।
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चौधरी मोहन गुर्जर मध्यप्रदेश के ह्र्दयस्थल हरदा के जाने माने वरिष्ठ पत्रकार है | आप सतत 15 वर्षो से पत्रकारिता के क्षेत्र में अपनी सेवायें देते आ रहे है। आपकी निष्पक्ष और निडर लेखनी को कई अवसरों पर सराहा गया है |