मकड़ाई समाचार नर्मदापुरम। पांच दिवसीय पं. रामलाल शर्मा स्मृति समारोह के अंतर्गत प्रथम दिवस के कार्यक्रम में व्यासगादी पर विराजित पं. उमाशंकर शर्मा व्यास जी ने प्रवचन का शुभारंभ करते हुए कहा कि स्थान से पूज्य गुरूदेव पं. रामकिंकर जी उपाध्याय की स्मृति जुड़ी हुई है अतः इस आयोजन से मुझे हार्दिक प्रसन्नता हो रही है। श्री व्यास ने कहा कि कर्मफल के अंतर्गत जैसा कर्म वैसा फल। यह सृष्टि कर्म सि़द्धांत के अनुसार चल रही है। गुरू अपने शिष्य की योग्यता अनुसान शिक्षा देता है। तुलसीदास जी भी एक स्थान पर कर्म के अनुसार फल की बात करते है वहीं दूसरे स्थान पर कर्मफल को ईश्वर की इच्छा के अनुसार देने वाला निरूपित किया गया है। जैसे राष्ट्रपति संविधान से बंधा होता है वैसे ही ईश्वर भी भक्त से बंधा होता है। जबकि भक्त कहते हैं सब कुछ का कर्ता ईश्वर है। पितामह भीष्म का स्मरण करते हुए आपने कहा कि श्री कृष्ण आपको पांडव विशेष प्रिय है। तब मेरा प्रश्न है उन पांडवों ने दुख क्लेश एवं अपमान के सिवा क्या पाया है। तब भगवान कहते है गहणों कर्मणा अर्थात प्रारब्ध तो भोगना ही पड़ता है।
तब फिर पितामह कहते है फिर भक्ति क्यो की जाये, तब भगवान कहते है प्रारब्त तो भोगना ही पड़ता है किन्तु रामचरित मानस कहता है भक्त और अभक्त देखकर भगवान अपना व्यवहार करते है। यही प्रसंग हिरण्कश्यपु के संदर्भ में भी देखने में आता है जहां देवताओं के कष्ट पर तो भगवान मौन है किन्तु प्रहलाद को देखकर भगवान स्वयं कष्ट हरने आ जाते है। कार्यक्रम के प्रारंभ में पं. कृपाशंकर शर्मा, पूर्व मुख्य सचिव मप्र शासन, कैलाश जोशी, बीके चोहान, अशोक पालीवाल, सागर शिवहरे, जेपी शर्मा, विनोद दुबे, लखन दुबे, शिव दीक्षित, अर्पित मालवीय, अशोक द्विवेदी एवं अन्य गणमान्य नागरिकों ने पूज्य महाराज जी का स्वागत किया। स्वागत पश्चात आकाश जैन, आदित्य परसाई, विपुल दुबे एवं वेदान्त दीक्षित द्वारा भजनाजंलि प्रस्तुत की गई। कार्यक्रम के अंत में सामूहिक प्रार्थना अब सौंप दिया के द्वारा कार्यक्रम का समापन हुआ।