रचाया नृप ने व्यर्थ स्वयंबर प्रण पूरण कर पाया न कोई न सिया क्या करे हाय क्या करे- व्यास रविशंकर गौर
मकड़ाई समाचार रहटगांव। ग्राम झाड़बिड़ा में शशि रामलीला मंडल द्वारा किये जा रहे रामलीला के मंचन के तीसरे दिवस की रात्रि में धनुषयज्ञ एवं लक्ष्मण परशुराम संवाद की रोचक एवं तीखी लीला की प्रस्तुति दी गई। इस दौरान भगवान श्रीराम ने धनुष भंग किया। जिसकी आवाज सुनकर भगवान परशुराम यज्ञ मंडप में पहुंचे। इस दौरान लक्ष्मण और उनके बीच तीखा संवाद हुआ। जिसे देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग जुटे रहे। धनुषयज्ञ की लीला को लेकर शशि रामलीला मंडल ने दोपहर से ही तैयारियां शुरू कर दी थी। रामलीला प्रांगण के बीच बने मंच पर बड़ा पाडांल लगाया गया था। जहां पर देश-विदेश से आने वाले राजा-महाराजाओं के लिए बैठक व्यवस्था की गई थी। जनक जी के लिए गए प्रण कि जो राजा शिव धनुष भंग करेगा उसे ही सीता व्याही जाएगी। सुनकर बड़ी संख्या में राजा महाराजा पहुंचे थे। पांडाल के बीच में शिवधनुष रखा गया था। सभी राजाओं ने धनुषभंग करने की कोशिश की लेकिन हिला तक नहीं सके। अंत में श्रीराम ने धनुष भंग किया। आवाज सुनकर भगवान परशुराम वहां पहुंचे और जनक जी से पूछा कि यह शिव धनुष किस ने तोड़ा है। बता नहीं तो जहां तक तेरा राजपाट है नष्ट कर दूंगा। इस दौरान लक्ष्मण और उनके बीच तीखा संवाद हुआ। बाद में भगवान श्रीराम ने कहा कि यह कार्य करने वाला आपका ही कोई दास होगा। इससे परशुराम जी को कुछ आभास हुआ वह समझ गए कि राम भगवान विष्णु के अवतार है। इसके बाद उनकी जयजयकार करके वापस चले गए। इधर सीता ने श्रीराम के गले में जयमाला पहनाई। धनुषयज्ञ की लीला के लिए रामलीला परिसर जनकपुरी की ही तरह सजाया गया था। मंचन के दौरान राम पाठ शांतिलाल भंडारी लक्ष्मण पाठ, विवेक गौर,रावण पाठ ओमकार भंडारी ने किया।