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राहुल बोले- सालों पहले तय हो गया था प्रियंका का राजनीति में आना, इस वजह से हुई देरी

भुवनेश्वरः कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर शुक्रवार को आरोप लगाया कि भाजपा नीत राजग सरकार में हर जगह उसकी छाप दिखाई देती है और यह संगठन देश की सभी संस्थाओं में घुसना एवं उन्हें नियंत्रित करना चाहता है। उन्होंने कहा कि आरएसए भाजपा की जननी है। उसे लगता है कि देश में वही एकमात्र संस्था है। वे सभी अन्य संस्थाओं में घुसना चाहते हैं और उन्हें नियंत्रित करना चाहते हैं। राहुल ने कहा कि उसकी मानसिकता के कारण न्यायपालिका और शिक्षा क्षेत्रों समेत देश में हर जगह अराजकता फैल गई है।
राहुल के संबोधन के प्रमुख अंश

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  • हमें लगता है कि कुछ लोगों के एक समूह या किसी एक विचारधारा को नहीं, बल्कि भारत के 1.2 अरब लोगों को देश चलाना चाहिए।
  • अहम संस्थाओं की कार्यप्रणाली के मामले में उनकी पार्टी की सोच सत्तारूढ़ भाजपा से अलग है। उन्होंने कहा कि अहम संस्थाओं को देश की किस प्रकार सहायता करनी चाहिए, इस बारे में हमारी सोच अलग है।
  • पार्टी विकेंद्रीकरण, संस्थाओं की स्वतंत्रता और संवैधानिक सम्प्रभुता का सम्मान करती है। शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों पर कब्जे एवं एकाधिपत्य को चुनौती दिए जाने की आवश्यकता है।
  • मध्यमवर्गीय एक व्यक्ति को अच्छी शिक्षा प्राप्त करने के लिए करोड़ों रुपए खर्च करने पड़ते हैं। स्वास्थ्य सेवा में भी ऐसा ही हाल है। इसे चुनौती दिए जाने की जरूरत है।
  • प्रियंका को राजनीति में लाने का फैसला 10 दिन में नहीं लिया गया, यह सालों पहलेतय हो गया था।
  • प्रियंका अपने बच्चों को कुछ समय देना चाहती थी। अब बच्चे बड़े हो गए हैं तो वह पार्टी में अपनी जिम्मेदारी निभाने को तैयार है।
  • राहुल ने कहा प्रियंका और उनकी सोच काफी मिलती है और ज्यादातर फैसलों पर दोनों की राय एक जैसी ही होती है।
  • राहुल ने कहा कि यह काफी अजीब बात है, अगर आप एक ही मुद्दे पर मेरी बहन से उनकी राय मांगे और फिर उसी मुद्दे पर मुझसे राय मांगें और हम दोनों अलग-अलग कमरे में बैठे हों, तो भी 80 फीसदी हमारे विचार एक ही तरह के होंगे।

उल्लखनीय है कि राज्य में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लगातार कई दौरे के बाद राहुल का यहां दौरा हो रहा है। उनका यह दौरा राज्य में पार्टी कैडर को एकजुट करने के लिए महत्वपूर्ण है, जहां पार्टी के दो विधायकों सहित कई वरिष्ठ नेता हाल में कांग्रेस छोड़ चुके हैं। ओडिशा में लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव भी होने वाले हैं।