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रेत के खेल में माफियाओं का बढ़ने लगा दबदबा, ग्रामीणों की जान पर बन आई

मकड़ाई समाचार बिलासपुर। रेत के खेल में माफियाओं के बढ़ते दबदबे के बीच नदी किनारे के उन ग्रामीण क्षेत्रों में जहां खदानों का संचालन किया जा रहा है पूरा इलाका धीरे-धीरे अशांत होने लगा है। माफियाओं का जिस अंदाज में दबाव और आतंक बढ़ रहा है ग्रामीण भयभीत हैं। अवैध उत्खनन और परिवहन को दिन रात अपनी आंखों से देखने वाले ग्रामीण सिर्फ इस भय में अपना मुंह नहीं खोल रहे हैं कि पता नहीं कब क्या हो जाए।

गोरखधंधे में माफिया मालामाल हो रहे हैं और पूरा इलाका अशांत होते जा रहा है। पुलिस और प्रशासनिक ढिलाई का असर भी अब सामने आने लगा है। राज्य निर्माण के बाद रेत उत्खनन को लेकर जो व्यवस्था बनी उसके अनुसार नदी किनारे स्थित ग्राम पंचायत जिसकी सीमा में रेत खदानें आती थीं उसके संचालन की जिम्मेदारी संबंधित ग्राम पंचायत के हवाले कर दिया जाता था।

उत्खनन और परिहवन की पूरी जिम्मेदारी ग्राम पंचायत की होती थी। डेढ़ दशक बाद व्यवस्था में बदलाव हो गया। नीलामी के जरिए खदान देने का राज्य शासन ने फरमान जारी कर दिया। नीलामी भी ऐसी कि ग्रामीण या छोटे से लेकर बड़े ठेकेदारों की पहंुच से खदानें बाहर हो गईं। एक-एक खदानों के लिए दर्जनों निविदा फार्म डाले गए। अंदाज ठीक शराब ठेके की तर्ज पर।

शराब दुकानों को हथियाने के लिए ठेकेदार जिस अंदाज में निविदा फार्म जमा करते थे वही तरीका रेत खदान हासिल करने के लिए अपनाया। उनका तरीका कारगर भी रहा। जाहिर सी बात है रेत ठेकेदार इस तरह का न तो प्रपंच कर सकते थे और न ही उनके पास इतनी रकम कि निविदा में पैसा पानी की तरह बहा सके। शराब के धंधे से रेत के खेल में शामिल हुए शराब ठेकेदारों ने जिले के अधिकांश घाटों पर कब्जा कर लिया।

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जिला प्रशासन ने ठेके उनके नाम निकाल दिए। रेत उत्खनन और परिवहन में भी वही पुराना अंदाज सामने आना लगा है। रेत घाटों की निगरानी में ऐसे चेहरे नजर आते हैं जो पूरी तरह बाहरी हैं। जिस गांव के घाट में रेत खदान है वहां के ग्रामीणों की भागीदारी भी नजर नहीं आती। पूरी तरह बाहरी लोगों को कब्जा घाटों पर दिखाई देता है। शराब ठेके की तरह रेत खदानों में प्रतिस्पर्धा उभरकर सामने आने लगी है।

अवैध घाटों पर चल रहा उत्खनन और परिवहन का खेल

रतनपुर मार्ग पर सेंदरी-कोनी, कछार, लोफंदी, घुटकू, सेंदरी और लमेर तक अरपा नदी के किनारे रेत के अवैध उत्खनन और परिवहन का खेल चल रहा है। इन घाटों में माफियाओं का दबदबा बढ़ते ही जा रहा है। खुलेआम रेत की खोदाई और परिवहन किया जा रहा है। जिला खनिज विभाग ने 17 खदानों को चिन्हांकित किया था। नौ समूहों में बांटकर इन खदानों की नीलामी की गई है।

जिन खदानों की नीलामी की गई है उसमें ये खदान शामिल नहीं है। अचरज की बात ये कि इन घाटों पर खनिज माफिया अवैध उत्खनन और परिहवन को बीते कई महीनों से अंजाम दे रहे हैं। सहायक खनिज अधिकारी अनिल साहू भी मानते हैं कि लोफंदी से लेकर घुटकू और अन्य घाट अवैध हैं। यहां अवैध उत्खनन और परिवहन हो रहा है।