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संपादकीय : बैर बढ़ाता नेपाल

नेपाली संसद के निचले सदन ने जिस तरह उस विवादित मानचित्र को मंजूरी दे दी, जिसमें उत्तराखंड के लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को नेपाल का बताया गया है, उससे यही प्रकट होता है कि वहां की सरकार भारत से बैर बढ़ाने पर आमादा है। चूंकि नेपाल की सरकार इस मामले में हद से ज्यादा आगे बढ़ गई है, इसलिए वहां के विपक्षी दल भी नीर-क्षीर ढंग से विचार करने के बजाय सत्ताधारी दल से आगे निकलने की होड़ से ग्रस्त हो गए हैं। इसके चलते अंदेशा इस बात का है कि नेपाल की जनता के बीच भारत विरोधी भावनाएं भड़काने का काम जोर पकड़ सकता है। बीते दिनों नेपाली सुरक्षा बल ने बिहार के सीतामढ़ी जिले से लगती सीमा पर जिस तरह भारतीय नागरिकों पर फायरिंग कर एक व्यक्ति की हत्या कर दी, वह माहौल बिगाड़ने की हरकत के अलावा और कुछ नहीं। नेपाल की मौजूदा सरकार के रुख से यह साफ है कि वह इस बात को महत्व देने को तैयार नहीं कि दोनों देशों के सांस्कृतिक-सामाजिक संबंध सदियों पुराने हैं। इन्हीं घनिष्ठ संबंधों के चलते दोनों देशों के लोगों को एक-दूसरे के यहां विशेष सुविधाएं हासिल हैं। इन पर कुठाराघात ठीक नहीं।

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हालांकि भारत इस कोशिश में है कि नेपाल ने जो विवाद खड़ा किया है उसे बातचीत से सुलझा लिया जाए, लेकिन यह तो तभी संभव होगा जब वहां की सरकार इसके लिए इच्छुक होगी। वह तो ऐसे व्यवहार कर रही है जैसे भारत ने सचमुच उसके किसी भूभाग पर कब्जा कर लिया है। यह मानने के अच्छे-भले कारण्ा हैं कि इस बेजा व्यवहार के पीछे चीन का हाथ है। नेपाल की कम्युनिस्ट सरकार ने कम्युनिस्ट चीनी सत्ता के इशारे पर भारत के खिलाफ जिस तरह मोर्चा खोल दिया है, उससे यही साबित होता है कि वह चीन की गोद में बैठने को तैयार है। नेपाली प्रधानमंत्री किस तरह भारत विरोध को हवा दे रहे हैं, इसका एक उदाहरण है उनका यह बेतुका बयान कि वुहान से आए कोरोना वायरस से कहीं घातक है भारत से आया कोरोना वायरस। भारतीय क्षेत्र को नेपाल का हिस्सा बताने का उनका दावा भी हास्यास्पद है। इस क्षेत्र में जब भारत ने चीन की सीमा तक सड़क बना ली, तब उन्हें यह याद आया कि यह इलाका तो नेपाल का है। आखिर जब इस सड़क को बनाने की घोषणा हुई और जब निर्माण कार्य शुरू हुआ, तब नेपाल सरकार कहां थी? चूंकि नेपाल सरकार न केवल बेबुनियाद दावा कर रही है, बल्कि चीन की शह पर भारत से संबंध बिगाड़ने पर भी तुली है, इसलिए भारतीय नेतृत्व को संयम बरतने के साथ ही सतर्कता का भी परिचय देना होगा।