जिला प्रशासन के आदेश के बाद भी जांच नहीं कर पाए अधिकारी!
जिला शिक्षा अधिकारी ने तीन सदस्यीय टीम बनाकर निजी स्कूलों में जांच के आदेश दिए थे!
स्थानीय अधिकारियों ने जांच की उड़ाई धज्जियां
के के यदुवंशी ,
सिवनी मालवा। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के द्वारा प्रतिदिन शिक्षा के क्षेत्र में सुधार लाने का प्रयास किया जा रहा है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ भी नजर नहीं आ रही अधिकारी कर्मचारी पलीता लगाने में लगे हैं। बात कर रहे हैं निजी स्कूलों की किताबें और कॉपी चुिनंदा दुकानों के आरोपों की जांच धीमी गति से चल रही है, महीनों बीत जाने के बावजूद अभी तक जांच ठप्प पड़ी हुई है, खुलेआम शिक्षा के क्षेत्र में व्यवसाय करने वाले किताबों की दुकान प्रशासन की नजरों से दूर है।
लगातार निजी स्कूलों की मिल रही शिकायतों के बाद प्रशासनिक अमले ने जांच के दावे करते हुए जांच दल गठित कर दिया। जिसमें निजी स्कूलों की जांच के लिए जिला प्रशासन की ओर से गठित टीम कुछ निजी स्कूलों में जांच करने पहुंची, जहां पहले अधिकारियों ने स्कूल प्रबंधन से चर्चा की साथ ही फीस और स्कूल में चलाई जाने वाली पुस्तकों की जानकारी ली। लेकिन कुछ दिन चली यह कवायद चंद दिनों की कागजी खानापूर्ति ही साबित हुई, जांच टीम के सदस्यों ने कुछ निजी स्कूलों में पहुंच कर बच्चों से बात तो की लेकिन लगातार मिल रही शिकायत को लेकर उपस्थित विद्यार्थियों से सवाल जबाव कर अपनी कथित रिपोर्ट बनाने की बाते भी सामने आ रही है। हालांकि अभी तक जांच रिपोर्ट जिला कार्यालय में जमा नहीं हुई है, ना ही अभी तक रिपोर्ट अभी तक पूरी हुई है। अब देखना यह है कि प्रशासनिक अधिकारी अपनी रिपोर्ट कब तक जमा करता है।
जांच रिपोर्ट में जो भी आए लेकिन निजी स्कूलों की पुस्तकों की जानकारी ना तो स्कूल की सोशल मीडिया पेज पर उपलब्ध है ना ही शासन की किसी बेव साइड पर। हालांकि कुछ स्कूलों ने जांच शुरू के बाद अपने स्कूलों के बोर्ड पर पुस्तकों की सूची जरूर लगा दी है।
अब इसका दोषी कौन है स्कूल प्रबंधन या शासन के अधिकारी जो निजी स्कूल की पुस्तकों की जानकारी सार्वजनिक करने से बचते रहते है। हालांकि जांच दल की जो भी रिपोर्ट हो वह भी सार्वजनिक होना चाहिए, जिससे सबको पता चले कि स्कूलों पर लग रहे आरोपों में कितनी सत्यता है, या फिर जो आरोप स्कूलों पर लगते है उनकी जांच होती है तो अधिकारियों को क्या मिलता है? हालांकि रिपोर्ट को सार्वजनिक करने को लेकर अधिकारी अपनी असमर्थता जताते है लेकिन अगर जांच रिपोर्ट सामने आई तो सारा सच पूरी तरह सामने आ जाएगा।
सार्वजनिक होना चाहिए जांच रिपोर्ट :
अधिकारियों ने निजी स्कूलों की जांच कर ली, स्कूलों में जाकर स्कूल प्रबंधन से मुलाकात की, कुछ स्कूलों में बच्चों से बातचीत की। दावे किए जा रहे है कि बच्चों से स्कूल प्रबंधन की गैर मौजूदगी में बात कर जानकारी ली गई है लेकिन जब स्कूल के भीतर बच्चों से बात की जा रही है तो बच्चों पर स्कूल प्रबंधन द्वारा दी गई समझाइश का कितना असर रहा होगा यह बात आसानी से समझी जा सकती है। खैर बात जांच रिपोर्ट की करे तो दो महीने से भी अधिक समय बीत जाने के बावजूद अभी तक जांच अधूरी होना, चिंता का विषय तो है तो कहीं ना कही इशारा भी करता है कि इसमें राजनैतिक हस्तक्षेप के कारण भी अधिकारियों को कार्रवाई करने में कुछ समस्याएं सामने आ रही होगीं। हालांकि यह बात अक्सर सामने आती है कि निजी स्कूलों की पुस्तकें चुनिंदा दुकानों पर ही मिलती है लेकिन बीते सालों में इन पर कोई कड़ी कार्रवाई नहीं होना कई गठजोड़ो की ओर इशारा भी करता है। खैर पहले जो हुआ वो अलग बात है लेकिन अब जबलपुर में हुई कार्रवाई के बाद शहर के नागरिकों की नजर यहां भी है कि क्या यहां भी मध्यप्रदेश शासन के नियम चलेगें या किसी और के चर्चा का विषय बना है
जांच दल में शामिल सदस्य राकेश खजूरिया, तहसीलदार एसएस रघुवंशी, बीओ संगीता यादव, बीआरसीसी एएस राजपूत, प्राचार्य सीएम राइज, के द्वारा जांच की गई थी अब देखना यह है कि यह जांच रिपोर्ट जिला प्रशासन को कब सौंपेंगे और कब होगा शिक्षा के क्षेत्र में सुधार।
इनका कहना है :
जिला शिक्षा अधिकारी के आदेश पर निजी स्कूलों की जांच चल रही है। कुछ स्कूलों में बच्चों से जानकारी ली गई थी, बीच में स्कूल बंद होने के कारण जांच में समय लगा है। शीघ्र ही जांच पूरी कर इसकी रिपोर्ट सौंप दी जाएगी।
संगीता यादव, बीआरसीसी
सिवनी मालवा।
जांच दल में तहसीलदार सहित अन्य अधिकारी थे, जांच लगभग पूरी हो चुकी है लेकिन अपनी अपनी व्यवस्थाओं के साथ जांच रिपोर्ट अभी नहीं बन पाई है, जल्द बनाकर जिला कार्यालय को सौंप दिया जाएगा।
एसएस रघुवंशी, विकास खंड
शिक्षा अधिकारी
सिवनी मालवा।