मकड़ाई समाचार शहडोल। अपनी प्रतिभा के दम पर राज्य से लेकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक वन विभाग का नाम रोशन करने वाले चौकीदार ने सपरिवार इच्छामृत्यु मांगी है। जिस खेल के दम पर उसने विभाग का मान बढ़ाया वही खेल उसके लिए अब मानसिक प्रताड़ना की वजह बन रहा है। आरोप है कि उसे पदोन्नति सहित अन्य लाभों से वंचित होना पड़ रहा है। अधिकारी और कर्मचारियों की उलाहना का भी शिकार होना पड़ रहा है। जिससे हताश और परेशान होकर वन विभाग में पदस्थ चौकीदार अब न्याय के लिए अपने मेडल, शील्ड, प्रमाणपत्र और सेवा अभिलेख लेकर राजधानी में अनिश्चितकालीन आमरण अनशन पर बैठने का निर्णय लिया है। वनकर्मी ने अनशन के बाद भी न्याय न मिलने की स्थिति में सपरिवार इच्छामृत्यु की भी मांग की है।
सिस्टम से हारा चैंपियन उत्तर वनमंडल में पदस्थ चौकीदर यज्ञनारायण सेन ने वर्ष 2003 से विभागीय खेल प्रतिभाओं में भाग लेकर 5 किमी, 10 किमी और 25 किमी की रेस व वॉक प्रतियोगिता में भाग लेकर लगातार वन विभाग का राज्य से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर तक माना बढ़ाया है। अपनी खेल प्रतिभा के दम पर उसने कई मेडल और ट्रॉफी अर्जित की हैं। यज्ञनारायण का आरोप है कि अब उनका यही खेल विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों को रास नहीं आ रहा है और उपलब्धि पर उसके साथ खड़े होकर फोटो खिंचवाने वाले अधिकारी कर्मचारियों ने ही मदद करने के वक्त उससे मुंह फेर लिया है।
30 वर्ष में एक भी पदोन्नति नहीं यज्ञनारायण सेन की मानें तो 9 फरवरी 1988 से वह वनविभाग में चौकीदार के पद पर पदस्थ है। उसके बाद जिन कर्मचारियों की नियुक्ति हुई थी उन्हें 2 पदोन्नति का लाभ मिल चुका है। जबकि पिछले लगभग 30 वर्ष के कार्यकाल में उसे एक भी पदोन्नति का लाभ नहीं मिला। पूर्व में कई बार वरिष्ठ अधिकारियों को अपनी समस्या के समाधान के लिए लिखित से आवेदन दिया गया है लेकिन उसकी समस्या का अभी तक कोई समाधान नहीं हो पाया। आवेदन वापस कर दिया गया, साथ ही अपमानित भी किया गया। कहा गया कि वर्तमान में पदोन्नति में प्रतिबंध लगा है। जबकि कार्यालय भोपाल से आश्वासन दिया गया कि 2016 के पूर्व जूनियर कर्मचारी को पदोन्नति दी है तो कोई प्रतिबंध नहीं है। यज्ञनारायण ने आगे बताया कि वो खेल गतिविधियों में लगातार अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं। कई बार मुख्यवनसरंक्षक कार्यालय में पदस्थ कई कर्मचारियों के साथ ही अधिकारियों द्वारा उसे खेल प्रतियोगिताओं में भाग लेने से मना किया गया। इसके बाद भी वह लगातार खेल गतिविधियों से जुड़े रहे शायद इसी कारण उसे प्रताड़ित किया जा रहा है।
छलके आंसू, कहा- ‘मेडल वापस ले लें लेकिन प्रताड़ित न करें’ विभागीय अधिकारी कर्मचारियों की उपेक्षा का दंश झेल रहे यज्ञनारायण सोन कहते हैं, वह कार्यालयों के चक्कर काट-काट कर थक चुके हैं। न्याय के लिए उसने मुख्यालय से लेकर भोपाल तक चक्कर काटे लेकिन कहीं से उसे कोई मदद नहीं मिली। जिसके चलते वह बहुत ही व्यथित और निराश है। व्यथा सुनाते-सुनाते यज्ञनारायण की आंखों से आंसू छलक आते हैं। कहते हैं खेल की वजह से प्रताडऩा झेलनी पड़ रही है। ये मेडल शील्ड वापस ले लें लेकिन सुकून से नौकरी करने दें। वहीं जब इस मामले में सीसीएफ शहडोल पीके वर्मा से बात की गई तो उन्होंने बताया कि यज्ञनारायण की रिपोर्ट मुख्यालय भेजी जा चुकी है। कर्मचारी द्वारा नियमित वेतनमान व पदोन्नति की मांग की गई है। जिसका निर्णय मुख्यालय स्तर पर होना है। यदि मुख्यालय इसकी अनुमति देता है तो उनकी समस्या का निराकरण हो जाएगा।