मकड़ाई समाचार भिंड। उपचुनाव में कांग्रेस ने मेहगांव सीट हारी तो गोहद सीट जीती है। गोहद में कांग्रेस के लिए जीत का स्वाद चखना आसान नहीं था। यहां भाजपा सेंध लगाने की तैयारी में थी। उपचुनाव की सरगर्मियों के बीच लहार विधायक पूर्व मंत्री डॉ गोविंद सिंह ने अपनी रणनीति बदली। उन्होंने गोहद में पार्टी की ओर से बाहर से भेजे जाने वाले प्रभारी की जगह जिले के स्थानीय प्रदेश महासचिव खिजर कुरैशी को जिम्मा दिया। कुरैशी जिले के कांग्रेसियों और यहां की राजनीति से अच्छी तरह से वाकिफ हैं। कार्यकर्ताओं को उनकी कुशलता के अनुरूप कार्य दिए गए। भेदियों पर नजर रखी गई। इससे कांग्रेस ने गोहद का किला फतह कर लिया।
पहले से रणवीर के संपर्क में थे कांग्रेसी: गोहद में कांग्रेस के लिए बड़ी मुसीबत यह थी, उनका सामना उन भाजपा नेता से था, जो सात माह पहले तक उनके अपने थे। यानी उपचुनाव में गोहद में भाजपा प्रत्याशी रणवीर जाटव के सामने वे ही कार्यकर्ता थे, जिन्होंने उन्हें वर्ष 2018 का चुनाव जिताया था। ऐसे में कांग्रेस के ज्यादातर कार्यकर्ता, नेता रणवीर जाटव के संपर्क में थे। लहार विधायक डॉ . गोविंद सिंह और प्रदेश महासचिव खिजर कुरैशी ने अपनी इस कमजोरी को भांप लिया। डॉ. सिंह जानते थे कि इस उपचुनाव में यदि प्रबंधन का जिम्मा बाहर के नेता के पास रहा तो भाजपा सेंध लगा सकती है। इसी के चलते डॉ. सिंह ने अपने खास राजदार प्रदेश महासचिव खिजर कुरैशी को गोहद में प्रबंधन का जिम्मा दिया। स्थानीय होने से कुरैशी को यह अच्छे से मालूम था कि उपचुनाव में कौन गड़बड़ कर सकता है। ऐसे में इन पर पहले ही नजर रखी गई।
भाजपा, कांग्रेस का एक होटल में डेरा: उपचुनाव में कांग्रेस ने एक-एक बात पर नजर रखी। डॉ . सिंह के भरोसे पर चुनाव प्रबंधन का जिम्मा संभाल रहे खिजर कुरैशी ने गोहद के सिमरिया होटल को अपना ठिकाना बनाया। इसी होटल में भाजपा प्रत्याशी पूर्व विधायक रणवीर जाटव के भाई और साले रुके हुए थे। इससे कांग्रेस को भाजपा पर नजर रखने में आसानी हुई। इस होटल में ठिकाना होने से ही कांग्रेस काफी हद तक अपनी पार्टी में भाजपा की सेंधबाजी रोकने में सफल रही।
कमल नाथ ने फोन किया तब आश्वस्त हुए: उपचुनाव के दौरान गोहद में जब लहार विधायक डॉ.सिंह ने प्रदेश महासचिव खिजर कुरैशी को प्रबंधन का जिम्मा दिया तो पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ सकते में आ गए। कमल नाथ ने फोन कर कुरैशी से चुनाव प्रबंधन को लेकर सवाल-जवाब किए। नाथ फोन पर बातचीत में आश्वस्त हुए तब उनकी ओर से भी प्रबंधन के लिए हां की गई। इस रणनीति से कांग्रेस के मेवाराम विधायक बने और भाजपा के रणवीर जाटव हारे।