मकडाई समाचार ग्वालियर। भारत और चीन के बीच एलएसी पर चल रही तनातनी के बीच सैनिकों का हौसला बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ 1 से 5 अक्टूबर के बीच सिंधुदर्शन यात्रा करने जा रहा है। यात्रा के चौथे दिन सभी यात्री लद्दाख में सैनिकों के कैंप में पहुंचकर उनसे मुलाकात कर उन्हें उपहारों के साथ यह संदेश देंगे कि देश को सेना के बलिदान शौर्य पर गर्व है साथ ही पूरा देश उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है। इसके बाद 4 अक्टूबर को लद्दाख से सीमा की ओर आमजनों का मार्चपास्ट किया जाएगा। हालांकि इस बार इस यात्रा का स्वरूप लघु (छोटा ) किया गया है। ग्वालियर से इस यात्रा में राजेश वाधवानी शामिल होंगे।
विगत 23 सालों से 19 जून से 26 जून तक सिंधु दर्शन यात्रा की जा रही थी, लेकिन इस साल कोरोना महामारी के कारण इस यात्रा पर रोक लगा दी गई थी। इसी बीच एलएसी पर चीन द्वारा कायराना तरीके से भारतीय सेना के निहत्थे जवानों पर हमला किया था।
इस घटना के बाद से एलएसी पर दोनों देशों के बीच काफी तनावपूर्ण माहौल है, दोनों ओर की सेनाएं आमने सामने भारी भरकम हथियारों से लैस खड़ी है। ऐसे में भारतीय सेना के वीर जवानों को यह संदेश देने की उनके साथ पूरा देश खड़ा है, 1 अक्टूबर से 5 अक्टूबर तक सिंधु दर्शन यात्रा की जाएगी।
पहले इस यात्रा में देशभर से 200 से ज्यादा लोग शामिल होते थे, लेकिन इस साल इस यात्रा का स्वरूप छोटा कर दिया गया है। जिसके बाद मात्र 112 लोग ही इस यात्रा में शामिल हो पाएंगे, लेकिन इसमें भी संशय है क्योंकि इस यात्रा से तीन दिन पूर्व सभी की कोरोना की जांच की रिपोर्ट लगेगी। इससे उम्मीद की जा रही है कि इस साल केवल 80 से 90 व्यक्ति ही इस यात्रा पर जा पाएंगे।
यात्रा के लिए सभी लोग दिल्ली से लेह के लिए वायुयान से उड़ान भरेंगे। 1 अक्टूबर को सभी यात्री लेह पहुंचेंगे वहां पर सभी को रायल पैलेस में ठहराया जाएगा। 2 अक्टूबर को लेह में रायल पैलेस में ही बैठक होगी।
3 अक्टूबर को सिंधु नदी का पूजन होगा, जिसमें सिंधी पद्धति से बहिराणा पूजन, सनातन हिंदू संस्कृति से हवन, यज्ञ एवं बौद्ध पद्धति से पूजन किया जाएगा। 4 अक्टूबर को लद्दाख में सैनिकों से मुलाकात होगी। सभी को वहां पर मिठाइयां व अन्य उपहार दिए जाएंगे। साथ ही सीमा की ओर कूच किया जाएगा। इसके बाद 5 अक्टूबर को सभी वायुयान से वापस दिल्ली आएंगे।
पहले ऐसा होता था स्वरूप
राजेश वाधवानी ने बताया कि पहले 19 जून को जम्मू से श्रीनगर के लिए रवाना होते थे, 20 को श्रीनगर घूमने के बाद 21 जून को कारगिल पहुंचते थे। 22 को कारगिल से लेह पहुंचते थे। 23 को वहां पर स्वागत कार्यक्रम व लेह का भ्रमण होता था, 24 को सिंधु घाट पर पूजन व संत सम्मेलन होता था। 25 को पैंगोंग झील के दर्शन एवं 26 को खारदुंगला जो कि दुनिया की सबसे ऊंची सड़क है वहां घूमने जाते थे।
इनका कहना है
इस बार यात्रा का स्वरूप लघु रहेगा, वहां पर इस साल सार्वजनिक कार्यक्रम नहीं होंगे। सिंधु स्नान व पूजन के बाद संकल्प लिया जाएगा।इसके बाद सेना से मिलने जाएंगे वहां उन्हें उपहार व मोमेंटो भेंट किए जाएंगे। उन्हें धन्यवाद देते हुए कहा जाएगा कि उनके शौर्य व बलिदान के कारण देश पूरी तरह से सुरक्षित है। साथ ही सीमा की ओर कूच कर चीन को संदेश देंगे कि वह हिमालय व कैलाश मानसरोवर को खाली करे। साथ ही दुनिया के देशों से आव्हान करेंगे कि वे तिब्बत, हॉगकांग, ताइवान, को स्वतंत्र देश की मान्यता दे। वहीं पाकिस्तान पीओके क्षेत्र व बलूचिस्तान को खाली का संदेश दिया जाएगा।
इंद्रेश कुमार संयोजक सिंधु दर्शन यात्रा