हरदा: जीवनदायनी हॉस्पिटल के सुधीर सिटोके पर धोखाधड़ी का आरोप, एक दर्जन से अधिक शिकायते छिपाबड़ थाने में, फिर भी FIR दर्ज नही कर रही पुलिस
हरदा। जिले के पुलिस अधीक्षक अभिनव चौकसे जिस प्रकार असामाजिक तत्वों अपराधो को रोकने के लिए प्रयासरत है।
लेकिन उनके अधीनस्थ अधिकारी शिकायत मिलने के बाद भी कई दिनों तक जांच के नाम पर मामलो को ठंडे बस्ते में डाल देते है।कार्यवाही नही करते।
ऐसा ही एक मामला छिपाबड़ थाने में सामने आया है। बीते दिनों एक निजी अस्पताल जीवनदायनी के संचालक डॉक्टर सुधीर सिटोके के खिलाफ कई लोगो ने धोखाधड़ी की शिकायते छिपाबड़ थाने में जिला जनसुनवाई में कलेक्टर एसडीएम और जन प्रतिनिधियों को की गई। इतनी शिकायतो के बाद पुलिस ने पीड़ित पक्ष के बयान भी ले लिए लेकिन FIR दर्ज नही हो सकी।पूरे शहर में पुलिस प्रशासन की इस अनदेखी लचर कार्य प्रणाली की चर्चा है।
पीड़ित युवक युवती और अन्य ग्रामीण जिन लोगो से डॉक्टर सुधीर सिटोके ने यूनिट पार्टनर सहित अन्य तरीके से लोभ लालच देकर लाखो रुपए ले लिए। अब पीड़ित पक्ष जब रुपए मांगने जाते है तो उनको धमकी दी जा रही।
डॉक्टर को धरती का भगवान कहा जाता है। लेकिन ऐसे लोग डॉक्टर का चोला ओढ़कर इस पेशे को बदनाम कर रहे है। वही दुर्भाग्य कहे की शिकायतो के बाद भी डॉक्टर सुधीर सिटोके के खिलाफ पुलिस एफआईआर दर्ज करने में इतना समय क्यों लगा रही है।
ये सवाल जन चर्चा का विषय बन गया। वही इस संबंध में छिपाबड़ टी आई निकिता बिल्सन से चर्चा की गई तो उन्होंने कहा की शिकायते तो मिली है। पीड़ित युवक युवतियों के बयान भी ले लिए लेकिन डॉक्टर सुधीर के बयान लेने के बाद आगे कार्यवाही करेगे।
इधर डॉक्टर सुधीर गायब है पुलिस के द्वारा बुलाने पर भी अभी तक बयान देने थाने में उपस्थित नहीं हुआ।
जीवन दायिनी अस्पताल से लोग ले जा रहे अपना सामान
इधर सूत्रों कि माने तो पीड़ित कई लोगो के पैसे डकारने वाले सुधीर सिटोके को कई लोगो ने उधार में सामान दे दिया था। कुछ लोगो के चेक बाउंस हो गए। अब लोग अपना सामान ले जा रहे है। ओर डॉक्टर सुधीर गायब है।
लेकिन पुलिस प्रशासन, जिला प्रशासन के अधिकारियो के पास इतनी शिकायत पहुंचने के बाद भी उस पर आखिर क्यों मेहरबान बने हुए है। यह समझ से परे है।
अखबारों में भी कई खबरे प्रमुखता से लगी ताकि जिला प्रशासन जाग जाए लेकिन अभी तक जिले के अधिकारी आंखे मूंदे बेठे हुए है।
इधर पीड़ित युवक युवतियों जिनका पैसा डॉक्टर ने डकार गया। उनका रो रोकर बुरा हाल है।
इधर पीड़ित युवक युवतियों ने बताया कि डॉक्टर सुधीर हमे झूठे केस में फ़साने की धमकी देता है। तो कभी कहता है तुमने पैसा मांगा तो में आत्महत्या कर लूंगा।
स्वास्थ विभाग नपा परिषद और तहसीलदार को भी इस मामले में जांच करवाना चाहिए ताकि सच्चाई सामने आ सके। जीवनदायनी अस्पताल क्या नियमों के तहत बन रहा है या नहीं। वही इन शिकायतो की भी निष्पक्ष जांच जिला प्रशासन को जॉच टीम बनाकर करवाना चाहिए। ताकि युवक युवतियों को इंसाफ मिल सके। ओर दोषी पर कड़ी कार्यवाही। जिलाधीश महोदय को इस मामले को संज्ञान में लेना चाहिए।
इनका कहना है।
आरोप झूठे है। स्टांप पेपर पर कोई लिखा पढ़ी नही हुई। ये सब गलत है। मुझे फंसाने कोशिश की जा रही है। मुझे बदनाम किया जा रहा। में कोई फरार नही अपने ही गृह जिले में हु। चार पांच लोगो का लीगल रूप से पैसा देना है। इसके अलावा अन्य लोग जबरन शिकायत कर मुझसे पैसे की मांग कर रहे है। जिसके कारण में काम नहीं कर पा रहा हु।जबकि अभी हॉस्पिटल का कार्य प्रगति रथ है। में भी चाहता हु शासन प्रशासन निष्पक्ष जॉच करे।
सुधीर सिटोके
नोट: अगले अंक में फिर पढ़े आगे की कहानी। किन किन लोगो ने क्या शिकायत की। किस नाम से लिया पैसा, प्रचार प्रसार लोगो को आकर्षित करने किस फिल्म अभिनेता के नाम का लिया सहारा